मंजु जी एडी, घुटने और कमर के असहनीय दर्द से थी परेशान, अब भाग भागकर करती हैं काम। जान लीजिए इस हर्ब के बारे में।

2 months ago | 5 mins

जयपुर से 60 किलोमीटर दूर रायथल के पास एक छोटे से गाँव बासरी कला में रहने वाली 50 साल की मंजु यादव अपने मवेशियों की सेवा कर रही थीं। इसी बीच जैसे ही मंजु जी गोबर से भरा हुआ तसला उठाती हैं तो अचानक ही इनकी रीड की हड्डी में बहुत तेज दर्द होने लगता है। दर्द इतना असहनीय था की मंजु जी जमीन पर गिर जाती हैं। धड़ाम से गिरने की आवाज सुनकर इनके पति और इनका बेटा विनोद दौड़कर पास आते हैं और इन्हें जमीन से उठाकर बेड पर लिटा देते है। काफी देर तक आराम करने के बाद भी मंजु जी खुद से उठने में असमर्थ थी। इनकी इस हालत को देखकर इन्हें अस्पताल लेकर जाया जाता है जहां डॉक्टर चेक अप करने के बाद दर्द में तुरंत आराम के लिए इन्जेक्शन लगाते हैं और 3 महीने की दवाइयाँ खाने के लिए देते हैं। रोजाना दिन में 6 से 7 बार मंजु जी को दवाइयाँ खानी पड़ती थी। दवाइयाँ खाते हुए कई महीने गुजर गए लेकिन इनकी हालत जस की तस बनी हुई थी। उठने-बैठने यहाँ तक की लेटने तक में सहारे की जरूरत पड़ती थी। इनकी इस हालत की वजह से केवल मंजु जी ही नहीं बल्कि पूरा परिवार परेशान रहने लगा। जब डॉक्टर की दी हुई दवाइयों का कोई असर दिखाई नहीं दिया तो इनके पति और बेटे ने इन्हें दूसरे डॉक्टरों को दिखाया। एक डॉक्टर ने तो इनसे ये तक कह दिया की मंजु जी को अपनी जिदंगी बेड पर ही लेटकर बितानी पड़ेगी। कई डॉक्टरों को दिखाने के बाद भी जब इन्हें इस असहनीय दर्द का कोई समाधान नहीं मिला तो मंजु जी अपने ठीक होने की उमीद खो चुकी थी और इन्हें भी ऐसा लगने लगा था की अब इन्हें अपनी बाकी की जिंदगी बिस्तर पर लेटे लेटे गुजारनी पड़ेगी। नौबत ये आ गई थी की रोजाना मवेशियों से 100 से 150 लीटर दूध निकालने वाली मंजू जी आज बिस्तर पर पड़ी थीं।

डॉक्टरों से निराशा के बाद उम्मीद की किरण

सही इलाज न मिल पाने की वजह से पूरे 9 महीने तक मंजु जी इस असहनीय दर्द का शिकार रहीं लेकिन अचानक कुछ ही हफ्तों में ऐसा क्या हुआ था की मंजु जी अब एकदम हष्ट-पुष्ट और स्वस्थ हो गई हैं। बड़े ही आसानी से फिर से घर के सारे काम-कज पहले की तरह करने लग गई हैं। रोजाना मवेशियों से 120 लीटर दूध निकालना, उन्हें चारा चरने के लिए डालना, खाना बनाना, झाड़ू पोंछा करना जैसे सारे काम फिर से शुरू कर दिए हैं। इतना ही नहीं अब वो 30 किलो वजन से ज्यादा भूसा का बोरा उठा लेती हैं। अगर कहीं शादी-समारोह में जाती तो नाचने से नहीं चूकती हैं। इनका नाच देखकर इनके पड़ोसी भी इन्हें कहने लगे हैं की देखो इसे बिस्तर से उठाने के लिए लोग लगते थे अब कैसे नाच रही है।

लेकिन सवाल तो ये है की एक तरफ जहां डॉक्टर ने मंजु जी को ये बोल दिया था की इन्हें सारी जिंदगी बिस्तर पर ही व्यतीत करनी पड़ेगी। तो फिर बेड से उठकर भागदौड़ कैसे कर रही हैं?

चलिए आपको बताते हैं इनको मिली इस समस्या में राहत के पीछे का राज क्या है?

दरअसल एक दिन जब इनका बेटा विनोद YouTube पर वीडियो देख रहा था तो अचानक से उसके सामने घुटनों के दर्द से संबंधित हकीम सुलेमान खान साहब की एक वीडियो आ गई। जिसमें हकीम साहब anchor शैलजा त्यागी के साथ बैठकर लोगों की समस्याएं सुन रहे थे और इन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए यूनानी जड़ी-बूटी और घरेलू उपचारों को अपनाने की सलाह दे रहे थे। जब विनोद ने हकीम साहब का चैनल ‘हकीम सुलेमान खान’ देखा तो इन्हें अनेक ऐसे लोगों के इंटरव्यू देखने को मिले जिन्हें हकीम साहब के द्वारा बताई गई यूनानी जड़ी बूटियों और घरेलू उपचारों को अपनाने से वर्षों पुराने दर्द में राहत मिल चुकी थी। विनोद ने अपनी माँ को हकीम साहब के videos दिखाए। इन वीडियोज़ को देखकर मंजु जी हकीम साहब से बहुत प्रभावित हुई और उन्हें उम्मीद की एक किरण दिखाई देने लगी। मंजु जी ने अपने बेटे से हकीम साहब से बात करने को कहा।


विनोद ने हकीम साहब की संस्था में कॉल करके अपनी माँ की सारी समस्या बताई। इनकी समस्या को सुनने और समझने के बाद हकीम साहब के काबिल डॉक्टरों की टीम ने इन्हें खट्टी चीजों का परहेज करने की हिदायत दी और जोड़ों के दर्द में कारगर जड़ी बूटी गोंद सियाह भेजी। साथ ही साथ ये भी बताया की इस प्रोडक्ट को हकीम साहब की website Atiya Herbs से online ऑर्डर करके भी मँगवा सकते हैं।

कहानी से जुड़े खास महत्वपूर्ण पॉइंट्स:

  1. 1. मंजु जी को कमर, घुटने और एडी के असहनीय दर्द ने बिस्तर पर डाल दिया।
  2. 2. डॉक्टरों की दवाइयाँ नकामयाब रहीं, तब हकीम साहब से इलाज का रास्ता अपनाया।
  3. 3. हकीम साहब के नुस्खों से मंजु जी का दर्द कम हुआ और वे फिर से सक्रिय हो गईं।

स्वस्थ जीवन की ओर एक कदम

मंजु जी ने हकीम साहब के डॉक्टरों द्वारा बताए निर्देशों के अनुसार गोंद सियाह का सेवन करना शुरू किया। 3 दिन में ही असर दिखाई देने लगा। एडी, घुटनों और कमर में होने वाला दर्द कम होना शुरू हो गया। डेढ़ महीने तक गोंद सियाह खाने का असर ये हुआ की ये बिस्तर से बिना सहारे उठकर चलने फिरने लगी। इन्होंने गोंद सियाह खाना जारी रखा। अब मंजु जी ने घर के सारे काम करना शुरू कर दिए हैं। इन्हें गोंद सियाह लेते हुए 5 महीने हो गए हैं। जिन हाथों से 1 लीटर दूध की किटली नहीं उठा पातीं थीं अब उन्हीं हाथों से 30 किलो भुस का बोरा लेकर दौड़ लगाने लगी हैं। दूध निकालने के लिए बैठ नहीं पाती थी अब 100 लीटर से ज्यादा दूध एक दिन में निकालती हैं और घंटों बिना पटरे के बैठी रहती हैं। जो पैर हमेशा सूजे रहते थे अब उनसे नाचना शुरू कर दिया है।

ये जिंदगी है साहब जिंदगी में कुछ भी हो सकता है। जीवन अनियमितताओं से भरा होता है। कभी-कभी हमारे जीवन में अनजाने में घटनाएं हो जाती हैं, जो हमारे नियंत्रण से बाहर होती हैं। लेकिन जीवन के हर मोड़ पर सीखने क्षमता रखने वाली मंजु जी ने हार नहीं मानी और अपने आप को सँजोकर रखा इसलिए आज इनका परिवार बहुत खुश हैं और हकीम सुलेमान खान साहब का दिल से धन्यबाद करते हैं। आज फिर से अगर आपके आसपास भी कोई इस तरह की बीमारी से ग्रसित है तो आप उस तक हकीम सुलेमान खान साहब की ये जानकारी पहुंचाकर उसकी मदद कर सकते हैं।

हकीम साहब के नुस्खे अपनाने के बाद मंजु जी की जिंदगी में बदलाव:

  1. 1. हकीम साहब के नुस्खों से मंजु जी को राहत मिली और बिस्तर से उठने की उम्मीद जागी।
  2. 2. 1.5 महीने में मंजु जी ने घर के सारे काम फिर से शुरू कर दिए।
  3. 3. अब मंजु जी मवेशियों की सेवा करती हैं और पहले जैसी स्वस्थ जीवन जी रही हैं।

मंजु जी की ऐसी हालत होने के बाद इनके परिवार का क्या हाल हो गया था?

परिवार की आधी से ज्यादा जिम्मेदारी मंजु जी ने संभाल रखी थी। रोजाना 10 गायों की सेवा करना, चरने के लिए चारा डालना, गायों को पानी पिलाना, गायों का दूध निकालना, गोबर पाथना ये सभी काम मंजु जी ही करती थी। मंजु जी की इस हालत की वजह से गायों को दूधने के लिए अब इन्हें पड़ोसियों की मदद लेनी पड़ती थी। पड़ोसी कब तक इनकी मदद करते। 1 से 2 दिन के लिए तो कोई भी आ जाता है लेकिन रोज-रोज कौन मदद करेगा। मंजु जी की इस हालत की वजह से मवेशियों को बेचना पड़ गया था।लेकिन हकीम साहब से जुडने के बाद अब इनकी हालत फिर से पहले की तरह हो गई है और फिर से पहले की तरह स्वस्थ जीवन व्यतीत कर पा रही हैं।

आप मंजू यादव जी के जीवन की पूरी कहानी दी गई वीडियो में देख सकते हैं.......

गोंद सियाह क्या है ?

 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है। यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्या है। इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। यह एक मध्यप्राण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है। गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है। यह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमें उस पेड़ के औषधीय गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हम से दूर रख सकता है।

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