पद्मश्री सम्मानित अख्तरुल वासे साहब की 54 से 74 तक की दर्दभरी यात्रा : जानिए कैसे 20 साल पुराना जोड़ों का दर्द 3 महीने में हुआ दफा।

1 Days ago | 5 mins

हमारे जीवन में कई बार ऐसे मोड़ आते हैं, जब हम कोशिश तो पूरी कर रहे होते हैं लेकिन सही परिणाम नहीं मिलते हैं। ऐसी स्थिति में हम निराश हो जाते हैं और हमें कुछ समझ नहीं आता की हम क्या करें। कुछ ऐसी ही कहानी है अख्तरुल वासे साहब की, जिन्होंने 54 की उम्र से लेकर 74 की उम्र तक जोड़ों के असहनीय दर्द को सहा, जोड़ों के दर्द के अलावा डायबिटीज जैसी समस्याओं से जूझते हुए उन्होंने अपनी जिंदगी में कई कठिनाइयाँ झेलीं लेकिन जब वे हकीम सुलेमान खान साहब से जुड़े तो उन्हें इनका मर्ज समझ आया। हकीम साहब की संस्था से दो नुस्खों को तीन महीने तक सेवन करने के बाद अब अख्तरुल वासे साहब फिर से पहले की तरह जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं, चलिए आपको बताते हैं क्या है पूरी कहानी।

अख्तरुल वासे साहब और उनकी समस्या - जोड़ों का दर्द

अख्तरुल वासे साहब, 2013 में पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित एक जानी-मानी प्रतिष्ठित शख्सियत हैं, जो उत्तर प्रदेश के नोएडा में सेक्टर 37 में रहते हैं। इन्होंने जोधपुर की मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेंट के रूप में और जामिया मिलिया इस्लामिया में इस्लामिक सीरीज के प्रोफेसर के तौर पर अपनी सेवाएं दी हैं। शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में इनका योगदान अविस्मरणीय है।

अख्तरुल वासे साहब का समाज में योगदान बहुत बड़ा रहा है, लेकिन 54 साल की उम्र के बाद से उनका जीवन गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहा था। आज उनकी उम्र 74 साल है, यानि कि लगभग 20 साल तक वह जोड़ों के दर्द की समस्या से परेशान रहे। हाथ-पैरों से शुरू हुआ हल्का दर्द धीरे-धीरे हड्डियों तक पहुंच गया और असहनीय होता चला गया। शुरुआत में मालिश करवाते रहे लेकिन जब कोई फायदा होता दिखाई नहीं दिया तो डॉक्टर को दिखाया, महीनों तक दवाइयाँ खाईं लेकिन इन दवाइयों से उन्हें उतनी ही देर के लिए फायदा मिलता था जब तक दवाइयों का असर रहता था।

देखते ही देखते इनका ये दर्द इतना बढ़ गया की उनका उठना-बैठना, चलना-फिरना भी दर्दमय हो गया। इन्हें नमाज पढ़ने में असहनीय तकलीफ होने लगी थी जिस वजह से कुर्सी पर बैठकर नमाज पढ़ना पड़ता था। दर्द की तीव्रता को देखते हुए अख्तरुल वासे साहब ने जोड़ों के दर्द को गंभीरता से लिया और हड्डी विशेषज्ञों को दिखाया। इन 20 सालों में इन्होंने कई डॉक्टर बदले लेकिन उन्हें वो राहत नहीं मिली जो वो चाहते थे। वर्षों तक दवाइयों का सेवन करने के बावजूद जब इन्हें राहत नहीं मिली तो इस दर्द की वजह से अख्तरुल वासे साहब को उनका आगे का जीवन अंधकारमय नजर आने लगा था।

जोड़ों के दर्द के अलावा डायबिटीज के शिकार थे अख्तरुल वासे साहब।

इतना ही नहीं जोड़ों के दर्द के अलावा, अख्तरुल वासे साहब कई सालों से diabetes की समस्या से भी परेशान थे, diabetes की वजह से उन्हें बार-बार पेशाब के लिए जाना पड़ता था, diabetes की समस्या की वजह से वो बहुत ज्यादा परेशान हो गए थे, कहीं भी किसी समारोह में जाते थे तो उन्हें बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता था।

अख्तरुल वासे साहब की कहानी से जुड़े महत्वपूर्ण पॉइंट्स:

  • 20 साल तक जोड़ों के दर्द और डायबिटीज से जूझते रहे।
  • डॉक्टरों से कई इलाज करवाए लेकिन कोई स्थायी राहत नहीं मिली।
  • डायबिटीज की समस्या से सार्वजनिक स्थानों पर असहज महसूस करते थे।

हकीम सुलेमान साहब से जुड़ाव और उपचार

सालों तक परेशान होने के बाद एक दिन अख्तरुल वासे साहब ने टीवी पर हकीम सुलेमान खान साहब का फेमस शो “सेहत और जिदंगी” देखा। इस शो को देखने के बाद उन्हें राहत की एक किरण दिखाई दी, क्योंकि इस शो में इन्होंने हकीम सुलेमान खान साहब को अनेकों ऐसे मरीजों से बातें करते हुए सुना जो वर्षों पुराने जोड़ों के दर्द जैसे - घुटनों का दर्द, कमर का दर्द, कंधों का दर्द, sciatica, cervical, गठिया और भी अनेक शारीरिक समस्याओं से परेशान थे लेकिन हकीम सुलेमान साहब से जुड़कर और उनके प्राकृतिक नुस्खों का सुबह-शाम सेवन करके कुछ ही महीनों में राहत पा चुके थे। इस शो को देखने के बाद उन्होंने भी हकीम साहब के नुस्खे अपनाने का मन बनाया और टीवी पर चल रहे नंबर पर कॉल करके हकीम साहब की संस्था में उपस्थित यूनानी डॉक्टरों को जोड़ों के दर्द और diabetes की समस्या के बारे में बताया।

हकीम साहब के नुस्खे अपनाने के बाद अख्तरुल वासे साहब की जिंदगी में बदलाव:

  1. महज 3 महीने में जोड़ों के दर्द में 70% से अधिक राहत मिली जिससे जीवन आसान हो गया है।
  2. अब बिना दर्द के नमाज पढ़ सकते हैं और वो सारे दैनिक काम कर सकते हैं जो नहीं कर पा रहे थे।
  3. डायबिटीज में 70% से ज्यादा राहत मिली अब बार बार पेशाब के लिए नहीं जाना पड़ता।

हकीम सुलेमान साहब के प्राकृतिक नुस्खे जिनसे मिला फायदा

हकीम साहब के काबिल डॉक्टरों की टीम ने इनकी समस्याओं को अच्छे से सुनने और समझने के बाद दो प्राकृतिक नुस्खे D.care और T.care भेजे। अख्तरुल वासे साहब ने संस्था के डॉक्टरों द्वारा बताया गए निर्देशों के अनुसार नुस्खों का सेवन किया जिससे इन्हें बहुत फायदा मिला। तीन महीने तक नुस्खों के सेवन से अख्तरुल वासे साहब को जोड़ों के दर्द की समस्या में इतनी राहत मिल गई है कि उन्होंने फिर से पहले की तरह नमाज पढ़ना शुरू कर दिया है। अब उन्हें पूरा विश्वास हो गया है कि इन नुस्खों के सेवन से उन्हें 20 साल पुरानी समस्या में राहत मिल सकती है। इतना ही नहीं, diabetes की समस्या में भी उन्हें 70% से ज्यादा राहत मिल गई है जिससे उन्हें बार-बार पेशाब नहीं जाना पड़ता है। अभी भी उन्होंने हकीम सुलेमान साहब के नुस्खों का सेवन जारी रखा है। उन्हें यकीन हो गया कि ये प्राकृतिक नुस्खे दर्द के साथ-साथ मर्ज पर असर कर रहे हैं। अब 74 साल की उम्र में भी उनका स्वास्थ्य पहले से कहीं बेहतर है, और वे बिना किसी परेशानी के अपनी दैनिक गतिविधियाँ कर सकते हैं।

आप अख्तरुल वासे साहब के जीवन की पूरी कहानी दी गई वीडियो में देख सकते हैं…

T. Care क्या है?

T. Care हकीम सुलेमान खान साहब के द्वारा तैयार की गई S. Care और R. Care दवाओं का मिश्रण है, जो ऑर्थोपेडिक्स और मांसपेशियों की समस्याओं से लड़ने और आराम दिलाने में सहायक है। अगर आप शरीर के किसी भी तरह के दर्द से परेशान हैं या फिर जोड़ों में सूजन की वजह से दुखी हैं, और हर तरह का इलाज कर चुके हैं लेकिन आराम नहीं मिल रहा है तो T. Care आपके लिए समाधान हो सकता है इसे एक बार जरूर अपनाएं।

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