घुटनों के दर्द की शिकार 38 साल की अर्चना मिश्रा से जानिए, घुटनों के दर्द को कैसे दी शिकस्त।
अशोक अग्रवाल जी-दिल्ली । आर. बी. वर्मा-लखनऊ- । एच.एम आनंद-दिल्ली । चौधरी जमील जी-दुबई। दयावती जी-दिल्ली । दयाशंकर तिवारी-लखनऊ। मौलाना उस्मान-दुबई
जयपुर से 25 किलोमीटर दूर गणेश डूंगरी नीदंड गाँव गणेश धाम में रहने वाली अर्चना जी सुंदर, सुशील और जीवन में आने वाली समस्याओं से लड़ने में माहिर एक बहुत ही मेहनती और लगनशील महिला हैं। अर्चना जी 35 साल की उम्र में ही घुटनों के दर्द और सूजन का शिकार हो गईं थी। पूरे तीन साल तक इस दर्द से परेशान रहीं। कई डॉक्टरों को दिखाया अनेक तरह की दवाइयाँ खाईं। इन दवाइयों के साइड इफेक्ट की वजह से इनके शरीर पर लाल दाने आ गए। मुंह पर झाइयाँ आ गईं और भी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा। जानेंगे अर्चना जी की कहानी तीन साल तक दर्द झेलने के बाद अर्चना जी को इस समस्या में राहत कैसे मिली लेकिन उससे पहले समझते हैं की बुढ़ापे से पहले होने वाले घुटनों में दर्द के पीछे की वजह?
बुढ़ापे से पहले क्यों हो रहा है घुटनों में दर्द?
दोस्तों जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है, शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं, बढ़ती उम्र के साथ जोड़ों की उपास्थि घिसने लगती है। उपास्थि के घिसने की वजह से घुटने में दर्द, अकड़न और सूजन जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इस स्थिति को ऑस्टियो आर्थराइटिस कहते हैं जो की गठिया का सबसे आम रूप होता है। अगर शुरूआत में ही इस पर ध्यान नहीं दिया जाता है तो सालों तक आप इस दर्द से परेशान रह सकते हैं।
दोस्तों घुटनों के दर्द और कमर दर्द जैसी समस्याएं 60 साल की उम्र के बाद बुढ़ापे में देखने को मिलती थी। लेकिन आजकल ये समस्या 30 - 35 साल के लोगों में देखने को मिल जाती है। जिसकी खास वजह है तनाव से भरी हुई जिंदगी, बदली हुई लाइफ-स्टाइल और बेकार खान-पान। चलिए अब कहानी पर वापिस आते हैं और अर्चना जी से जानते हैं की अगर किसी भी उम्र में घुटनों के दर्द या फिर कमर दर्द ने आपके जीवन में दस्तक दे दी है तो इस दर्द से राहत पाने के लिए कौन-सा नुस्खा अपनाएं।
घुटनों के दर्द में चलना-फिरना हो गया था मुश्किल, जानें अर्चना जी की सच्ची कहानी।
13 साल की उम्र में अर्चना जी की शादी हो गई थी। कुछ ही सालों में इनके बच्चे हो गए। घर का पूरा काम-काज करना, गाय की देखरेख करना, चारा चरने के लिए डालना, पानी पिलाना, दूध निकालना, बच्चों की देखरेख करना इत्यादि घर की सारी जिम्मेदारियाँ देखते ही देखते इनके ऊपर आ गईं। सारी जिम्मेदारियों को अच्छी तरह से निभाते हुए अर्चना जी एक खुशहाल जीवन जी रही थीं। लेकिन सारा दिन लगातार काम करने और बेहतर खान-पान न होने की वजह से धीरे-धीरे इनका शरीर कमजोर होता जा रहा था। जब इनकी उम्र 35 साल हुई तो इनके पूरे शरीर में सूजन आना शुरू हो गई। कमजोरी की वजह से घुटनों और कमर में दर्द होने लगा। इनकी दिक्कतें उस समय ज्यादा बढ़ गई जब इनके घुटने जाम हो गए जमीन से ऊपर पैर उठाते ही दर्द महसूस होने लगी। इस दर्द की वजह से दौड़कर सीढ़ियाँ चढ़ने वाली अर्चना जी का एक सीढ़ी चढ़ना भी मुश्किल होने लगा। थोड़ी दूर ही चलने पर इनकी सांस फूलने लगती थी और थकावट होने लगती थी। जब दर्द हद से ज्यादा बढ़ गया तो इनके पति ने इन्हें डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने खून की कमी बताई और कुछ दवाइयाँ खाने के लिए दी। जब इन दवाइयों से कोई फायदा नहीं हुआ तो राजस्थान में और भी कई डॉक्टरों को दिखाया। अलग-अलग डॉक्टरों ने अलग-अलग समस्याएं बताईं। किसी ने कहा गठिया बाय हो गई है, किसी ने कहा थाइरोइड की बीमारी है तो किसी ने ब्लड में इन्फेक्शन बताया।
अड़ोस-पड़ोस और रिश्तेदारों की बातों ने इनकी समस्या को और अधिक बढ़ा दिया। लोगों का कहना था की गठिया बाय एक बार हो जाए तो फिर कभी नहीं जाता। जब तक जिंदगी रहेगी तब तक भी दवाइयाँ खाओगी तब भी कोई आराम नहीं मिलेगा। पड़ोसियों और रिश्तेदारों की ऐसी बातें सुनकर अर्चना जी और उनके परिवार ने हिम्मत नहीं हारी। दो साल तक कई डॉक्टरों को दिखाया और दवाइयाँ खाईं। कई प्रकार की दवाइयाँ खाने की वजह से इनके पूरे वदन में दाने-दाने हो गए, चेहरे पर झुर्रियां पढ़ गईं चेहरा लाल हो गया। शरीर की चमड़ी तक सिकुड़ गई। बहुत बेकार तरीके से इनके दिन गुजरने लगे घुटनों में दर्द इतना था की अर्चना जी सारी-सारी रात सो नहीं पाती थी। सारी-सारी रात बैठे-बैठे पैर पकड़कर मालिश करती रहती थी। बच्चे बहुत डरे हुए और घबराए हुए थे। माँ की स्थिति को देखकर कभी-भी रोने लगते थे। लेकिन मजबूरी से लाचार बेचारे कर भी क्या सकते थे। घुटनों के दर्द की वजह से अर्चना जी को जवानी में ही बुढ़ापे का एहसास होने लगा था, ऐसा लगता था जैसे 80, 85 साल की हो गई हो। छोटी सी दहलीज से उतरने में भी तकलीफ होने लगी थी। गाय का दूध निकालना, सेवा करना सब कुछ अब इनके पति को करना पड़ता था। एक दिन इनके गाँव में शरीर के दर्द के लिए आयुर्वेदिक और देशी दवाइयाँ बेचने वाले आए। तो इन्हें फिर से एक उम्मीद दिखाई दी। उनसे दवाइयाँ ली और सेवन करके देखा। दवाइयाँ खत्म हो गईं लेकिन कोई भी फायदा नहीं हुआ। फिर से डॉक्टर को दिखाया इस बार डॉक्टर ने बोल दिया की घुटनों में पानी चला गया है ऑपरेशन करना पड़ेगा। इतने पैसे तो इनके पास थे नहीं, जिसके चलते पढ़ाई-लिखाई की उम्र में ही इनके बच्चों को काम करना पड़ा। ऑपरेशन को लेकर अर्चना जी के मन में डर था कहीं ऐसा न हो की ऑपरेशन में पैसे भी खर्च हो जाएं और आराम भी न मिले।
अर्चना जी की कहानी से जुड़े खास महत्वपूर्ण पॉइंट्स:
- घुटनों के दर्द और सूजन से जूझ रही अर्चना जी ने कई डॉक्टरों के लगाए चक्कर।
- पारंपरिक दवाइयों के साइड इफेक्ट्स के कारण उनकी स्थिति और बिगड़ी।
- पूरा परिवार हो गया था परेशान।
कई जगह भटकने के बाद अर्चना जी यूनानी के मशहूर हकीम साहब से कैसे जुड़े? जानिए इनकी पूरी कहानी?
इसी बीच एक दिन जब अर्चना जी ने टीवी में कोई भक्ति प्रोग्राम देख रही थी। प्रोग्राम पूरा होने के तुरंत बाद ही हकीम सुलेमान साहब का प्रोग्राम ‘सेहत और जिंदगी’ आने लगा। जिसमें हकीम सुलेमान साहब कई प्रकार की समस्याओं में राहत पहुंचाने वाले घरेलू नुस्खों के बारे में बता रहे थे। अर्चना जी ने इनके नुस्खों को अच्छी तरह से सुना और एक नुस्खा घर पर ही तैयार किया। ये नुस्खा था पेट से संबंधित समस्याओं के लिए। इस नुस्खे को अजवाइन, सौंफ, सोंठ, जीरा और काला नमक का इस्तेमाल करके बनाया जाता है। जब इस नुस्खे का कुछ दिनों तक सेवन किया तो काफी फायदेमंद साबित हुआ। जिससे अर्चना जी को हकीम साहब पर भरोसा हो गया। इन्होंने अपने पति से हकीम सुलेमान साहब की संस्था से कमजोरी, घुटनों का दर्द, सूजन और शरीर पर हुए लाल दानों के लिए दवाइयाँ मंगाने के लिए जिद करते हुए कहा की मैं हकीम साहब की दवाइयाँ कहकर देखूँगी चाहे फिर असर करें या न करें।
अर्चना जी ने हकीम साहब की संस्था में कॉल किया और अपनी पूरी समस्या बता दी। समस्या को अच्छे से सुनने और समझने के बाद संस्था के काबिल डॉक्टरों ने घुटनों के दर्द के लिए गोंद सियाह और S. Care जबकि शरीर पर हुए लाल दानों के लिये गोंद मोरिंगा लेने की सलाह दी।
अर्चना जी ने डॉक्टरों के द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार दवाई मँगवाई और सेवन करना शुरू कर दिया। कुछ दिनों में इन्हें हकीम सुलेमान साहब के यूनानी नुस्खों पर किए गए भरोसे का परिणाम दिखाई देने लगा। गोंद मोरिंगा के सेवन से इनके लाल दाने सही होने लगे। कुछ ही दिनों के बाद गोंद सियाह और S. Care ने भी अपना असर दिखाना शुरू कर दिया। इन्हें एक अलग ही ऊर्जा महसूस होने लगी। अर्चना जी को अब समझ आने लगा की हकीम साहब की दवाइयाँ काम कर रही हैं। अर्चना जी ने विश्वास के साथ पूरे 6 से 7 महीने तक इन नुस्खों का सेवन किया। इन 7 महीने में इनकी जिंदगी में बहुत बदलाव आ गया है। अब आलम ये है की अर्चना जी बड़े ही आराम से सीढ़ियाँ चढ़ जाती हैं। गाय का दूध निकाल लेती हैं। फिर से गए की सेवा करने लगी हैं जिससे उन्हें बहुत सुकून मिलता है।
हकीम साहब के नुस्खे अपनाने के बाद अर्चना जी की जिंदगी में बदलाव:
- घुटनों का दर्द कम हुआ, सीढ़ियाँ चढ़ने में आसानी हुई।
- शरीर पर लाल दाने थे अब शरीर साफ हो गया, चेहरे की झाइयाँ गायब हो गईं।
- फिर से घर के काम करने लगीं जिससे परिवार बहुत खुश है।
अर्चना जी हकीम साहब के बारे में क्या कहती हैं।
अर्चना जी कहती हैं की “मैं कई सालों से गाय की सेवा करती आ रही थी। लेकिन इस तकलीफ की वजह से गाय की सेवा नहीं कर पाती थी तो इस तकलीफ में और भी ज्यादा तकलीफ होती थी। छोटी सी बाल्टी उठाकर पानी भी नहीं पिला पाती थी। टाइम से भूसा और पानी नहीं डाल पाती थी। मेरी इस तकलीफ की वजह से पूरा का पूरा परिवार तकलीफ में था। घर में अकेली थी कोई भी काम नहीं कर पाती थी। लोग हँसी उड़ाने लगे थे। मुझे अपनी इस स्थिति पर रोना आता था। तकलीफ इतनी थी की मेरे पास उस दर्द को बयान करने के लिए शब्द भी नहीं हैं। हकीम साहब से जुड़कर मेरी जिदंगी बहुत ज्यादा बदल गई है, अब बहुत अच्छा लगने लगा है। मुझे बहुत खुशी हो रही है की हकीम साहब से जुड़ गई तो मैं जी गई नहीं तो मैं आगे की दुनिया देख ही नहीं पाती। हकीम साहब से जुडने के बाद अब मैं सारे काम करने लगी हूँ, मुझे स्वस्थ देखकर बच्चों के मन में भी बहुत खुशी है।” जब हमें पता चला की अर्चना जी को हकीम साहब की दवाइयों से फायदा मिला है तो हम खुद इन्हें देखने और इनसे बातचीत करने इनके घर पहुंचे जहां पर अर्चना जी ने, एंकर शैलजा त्यागी के साथ की पहाड़ छड़कर और सीढ़ियाँ चढ़कर दिखाया। नीचे दी गई वीडियो में आप अर्चना जी को सुन सकते हैं। दोस्तों जब किसी रोग में फायदा मिलता है तो इंसान को कितनी खुशी ये तो वही व्यक्ति समझ सकता है जिसने उस रोग और दर्द को झेला है।
ये तो थी अर्चना जी की कहानी अगर आप भी किसी तरह की समस्या से परेशान हैं तो दिए गए नंबर पर कॉल करके हकीम सुलेमान साहब के काबिल डॉक्टरों की टीम को अपनी समस्या बताकर, समस्या में कारगर नुस्खों के बारे में जान सकते हैं ।
आप अर्चना जी के जीवन की पूरी कहानी दी गई वीडियो में देख सकते हैं…
गोंद सियाह क्या है ?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है। यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्या है। इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। यह एक मध्यप्राण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है। गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है। यह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमें उस पेड़ के औषधीय गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हम से दूर रख सकता है।
S. Care क्या है?
S. Care दवा अच्छी तरह से परीक्षण और शोधित है, जो गठिया जैसे मांसपेशियों और जोड़ों के रोगों के रोगियों को पूर्ण संतुष्टि देती है। इतना ही नहीं, अल्सर और मुंहासे जैसी अन्य बीमारियों पर भी यह दवा व्यापक प्रभाव डालती है। लेकिन यह मुख्य रूप से मांसपेशियों और हड्डियों से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने में कारगर है। यह मांसपेशियों की अकड़न का उपचार करता है और दर्द से राहत देता है।