भुवनेश जी तंवर 35 साल रहीं सर्वाइकल के दर्द में व्याकुल, चिंतित, और बेजार अंततः देसी नुस्खे से मिला फायदा।
अशोक अग्रवाल जी-दिल्ली । आर. बी. वर्मा-लखनऊ- । एच.एम आनंद-दिल्ली । चौधरी जमील जी-दुबई। दयावती जी-दिल्ली । दयाशंकर तिवारी-लखनऊ। मौलाना उस्मान-दुबई
जिओ तो ऐसे जिओ की जिंदगी में कोई दर्द न हो। बीमारी लेकर जीना भी कोई जीना है।” ये शब्द हैं जयपुर में मोती डूंगरी थाने के पीछे आनंद पुरी कॉलोनी में रहने वाली भुवनेश जी तंवर के जिन्होंने अपने जीवन के लगभग 30 – 35 साल सर्वाइकल के दर्द में गुजारे। कमर से लेकर इनके एक पूरे पैर में लगातार असहनीय दर्द बना रहा। सालों तक एलोपैथिक दवाइयों का सेवन किया। इनके पिताजी एक होम्योपैथिक डॉक्टर हैं, जिनकी सलाह पर इन्होंने होम्योपैथिक दवाइयाँ भी खाईं। भुवनेश जी ने एक नहीं, दो नहीं बल्कि कई डॉक्टरों को दिखाया लेकिन इन्हें कहीं से भी उचित फायदा नहीं मिल पा रहा था। 2022 आते-आते इनका ये दर्द कुछ ज्यादा ही बढ़ गया। चलने-फिरने की बात तो दूर बिस्तर से उठने तक में समस्या होने लगी। इस समस्या का असर अब इनके परिवार पर भी पड़ने लगा। यानि कि इनका बेटा-बहु सब परेशान होने लगे। नौबत यहाँ तक आ पहुंची की डॉक्टर ने ऑपरेशन करने के लिए बोल दिया। कुछ समय बाद ही भुवनेश जी को एक ऐसी यूनानी जड़ी बूटी मिली जिसके सेवन से महज 5 से 6 महीने में ही इन्हें इस समस्या में बिना ऑपरेशन के ही राहत मिल गई है और अब अपने परिवार के साथ एक स्वस्थ जीवन जी पा रही हैं। इनका कहना है की अभी और जीना है बहुत काम करना है। चलिए जानते हैं इनकी पूरी कहानी के बारे में किस तरह से इन्हें तकलीफ शुरू हुई और वो कौन सी जड़ी बूटी है जिसके सेवन से इन्हें सर्वाइकल के असहनीय दर्द में राहत मिली।
जानिए जयपुर में रहने वाली भुवनेश जी तंवर की सच्ची कहानी के बारे में?
भुवनेश जी बहुत ही सरल, सहज और हंसमुख स्वभाव की महिला है। समाज को साथ लेकर चलने वाली भुवनेश जी बहुत ही दिलचस्प बातें करती हैं। इनका अपनी बात रखने का तरीका बहुत ही खुशमिजाज और गजब का है। इनके परिवार में इनके पति, बेटा और बहु रहते हैं। जयपुर में इनका तीन मंजिला मकान बना हुआ है। 66 साल की भुवनेश जी को बचपन से ही घूमने का बहुत शौक रहा है। लगभग 35 साल तक सर्वाइकल के दर्द से व्याकुल, चिंतित, और परेशान रहने के बाद अब भुवनेश जी खुशहाल तरीके से अपने परिवार के साथ जिंदगी बिता रही हैं।
एक बार भुवनेश जी अपने बेटे के साथ किसी रिश्तेदार के यहाँ जा रही थी, बीच रास्ते में आए एक ब्रैकर पर दचका लगने की वजह से स्कूटर से गिर गईं। तुरंत तो इन्हें कोई दर्द महसूस नहीं हुआ लेकिन दूसरे दिन जब सुबह उठीं तो इनके कमर और बाएं पैर में बहुत दर्द था। कई दिनों तक दर्द की दवाइयाँ खाईं। जिनके सेवन से दर्द तो कम हो जाता लेकिन कुछ ही दिनों के बाद फिर से शुरू हो जाता था। भुवनेश जी काफी परेशान हो गईं। उन्होंने कई डॉक्टरों को दिखाया लेकिन इनका ये दर्द बढ़ता ही जा रहा था। कुछ ही सालों में ये दर्द बाएं पैर और कमर के बाद दायें पैर तक पहुँच गया। चलना-फिरना भी मुश्किल होने लगा। लेकिन इन्होंने चलना फिरना नहीं छोड़ा जिसकी वजह से एक दिन सीढ़ियाँ उतरते समय सीढ़ियों से गिर गईं। जिसके बाद तो इनका ये दर्द दुगुना हो गया। पैर में कई जगह पर दर्द होने लगा, बिस्तर से उठते ही दर्द शुरू हो जाता था, झुक कर चलना पड़ता था। कमर और पैरों में दर्द की समस्या इतनी थी की इनका चलना-फिरना दुर्लभ हो गया था। कोई काम नहीं कर पा रही थी। बिना सहारे के बेड से उठना भी मुश्किल हो गया था। इन्हें अस्पताल ले जाकर MRI जांच कराई गई। डॉक्टर ने एलोपैथिक दवाइयाँ सेवन करने के लिए दी। इन दवाइयों के साइड इफेक्ट की वजह से भुवनेश जी को बहुत नींद आती थी और हमेशा सोती ही रहती थी। जब इन दवाइयों के सेवन से कोई उचित असर होता दिखाई नहीं दिया तो कई और डॉक्टरों को दिखाया किसी ने स्लिप डिस्क की समस्या बताई तो किसी ने सर्वाइकल की समस्या बताईं। इन्होंने अपने पिताजी की सलाह पर होम्योपैथिक दवाइयाँ खाईं। (जैसा की हम आपको पहले ही बात चुके हैं इनके पिताजी एक होम्योपैथिक डॉक्टर हैं।)
इन दवाइयों का भी जब कोई असर नहीं हुआ तो भुवनेश जी बहुत परेशान हो गईं। 2022 में इनका ये दर्द इतना बढ़ गया की बिस्तर से नहीं उठ पाती थी। आप खुद सोचिए जिस व्यक्ति को बचपन से ही घूमने फिरने का शौक रहा हो उसे 24 घंटे बिस्तर पर ही बिताने पड़ें तो उसकी जिंदगी कैसी होगी। जब तक कोई मरीज खुद से उठ-बैठ सकता है तब तक तो उसको अपने आप में सही होने की आशा बनी रहती है लेकिन बेड पर जाने के बाद उसकी ये आशा भी खत्म हो जाती है। कुछ ऐसा ही हाल भुवनेश जी का था। दर्द की इस तकलीफ की वजह से बहुत ज्यादा चिंतित, व्याकुल, और बेजार हो गई थीं। इस बीच इनके बेटे और बहु ने इनकी बहुत सेवा की।
जब डॉक्टर ने दे दी ऑपरेशन की सलाह
जब सालों तक दवाइयों के सेवन से इन्हें कोई फायदा होता नहीं दिखा तो डॉक्टर ने इन्हें ऑपरेशन कराने की सलाह दी। भुवनेश जी ने अपने जीवन में दो लोगों के ऐसे ऑपरेशन देखे थे। जिसमें से एक व्यक्ति की तो ऑपरेशन के तुरंत बाद ही मौत हो गई थी जबकि दूसरे की कुछ दिनों के बाद मौत हो गई थी। यही वजह थी की भुवनेश जी ऑपरेशन कराने के पक्ष में बिल्कुल भी नहीं थी। इनके परिवार वाले भी ऑपरेशन कराने से मना कर रहे थे तो फिर इन्होंने दवाइयों के सहारे ही अपना बाकी का जीवन व्यतीत करने के बारे में सोचा।
कहानी से जुड़े खास महत्वपूर्ण पॉइंट्स:
- भुवनेश जी को 35 साल से सर्वाइकल और कमर में दर्द की भारी समस्या थी।
- सालों तक एलोपैथिक और होम्योपैथिक दवाइयों के सेवन के बाद भी नहीं मिल रही थी राहत।
- घूमने की शौकीन भुवनेश जी का चलना-फिरना हो गया था दुर्लभ।
आखिर अशोक कुमार जी यूनानी के मशहूर हकीम सुलेमान साहब से कैसे जुड़े और किन नुस्खों से मिली राहत।
एक दिन तंवर जी की मुलाकात इनके पड़ोस की एक महिला से हुई। जो कमर के दर्द की वजह से कई सालों से परेशान थी। भुवनेश जी ने देखा कि वो अच्छे से चल पा रही थी। भुवनेश जी के पूछने पर उस महिला ने इन्हें बताया की हकीम सुलेमान साहब की संस्था से गोंद सियाह मंगाया था ये उसका कमाल है। इस समय तो भुवनेश जी ने उस महिला की बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। इसी के लगभग 6 महीने के बाद बेड पर लेटी हुई भुवनेश जी टीवी देखते-देखते चैनल बदल रही थीं। तो अचानक की इन्हें हकीम सुलेमान साहब का प्रोग्राम दिखाई दिया। इस प्रोग्राम में अनेक ऐसे लोग हकीम साहब से जुड़ रहे थे जिन्हें हकीम साहब की यूनानी जड़ी बूटियों के सेवन से कई प्रकार की समस्याओं में राहत मिल गई थी। ये सब देखकर भुवनेश जी ने टीवी से नंबर निकालकर अपने छोटे से फोन से संस्था में कॉल करके हकीम साहब के यूनानी विशेषज्ञों को अपनी समस्या बताई। डॉक्टरों ने इनकी इस समस्या को अच्छे से अच्छे से सुनने और समझने के बाद गोंद सियाह के साथ-साथ कुछ और यूनानी जड़ी बूटियाँ भेजी।
इन जड़ी बूटियों के सेवन से कुछ दिनों में इन्हें फर्क महसूस होने लगा। लगातार 3 महीने तक दवाइयों के सेवन से इन्हें इतना आराम मिल गया की दवाइयों का कोर्स पूरा होने से पहले ही घूमने की शौकीन भुवनेश जी इन दवाइयों को अपने बेग में डालकर यात्रा पर निकल गईं। इस यात्रा को इन्होंने भरपूर एन्जॉय किया लेकिन यात्रा के दौरान दवाइयों का सेवन करना भूल गईं। इनकी इसी लापरवाही की वजह से जब भुवनेश जी लोटकर वापिस आईं तो इनका दर्द फिर से शुरू हो गया। भुवनेश जी को इस बात का अहसास हुआ और फिर इन्होंने 5 महीने तक लगातार गोंद सियाह का सेवन किया। अब भुवनेश जी का कहना है “की जिओ तो ऐसे जिओ की जिंदगी में कोई दर्द न हो। बीमारी लेकर जीना भी कोई जीना है। गोंद सियाह के सेवन से बेशक मेरा दर्द कम हुआ है, चलने फिरने लायक हो गईं हूँ, घर के काम कर लेती हूँ और बिना किसी दर्द के तीन मंजिल तक सीढ़ियाँ भी चढ़ जाती हूँ।
हकीम साहब के नुस्खे अपनाने के बाद भुवनेश जी की जिंदगी में बदलाव:
- 3 महीने में दवाइयों से दर्द में सुधार हुआ, घूमने की क्षमता वापस आई।
- यात्रा के दौरान दवाइयों का सेवन भूलने से दर्द फिर बढ़ा, लेकिन निरंतर सेवन से राहत मिली।
- अब भुवनेश जी बिना दर्द के सीढ़ियाँ चढ़ सकती हैं और घर के काम कर सकती हैं।
रभुवनेश जी को राहत मिलने के बाद बेटे और बहु ने जाहिर की अपनी खुशी।
इनके बेटे का नाम चंद्र प्रकाश है। जब हमने उनसे भुवनेश जी की सेहत के बारे में पूछा तो उन्होंने हमें बताया की पहले माँ जी के स्वास्थ्य को लेकर उन्हें बहुत ज्यादा मेंटली टेन्सन होती थी। अब उन्हें स्वस्थ देखकर बहुत अच्छा लगता है और खुशी महसूस होती है। चंद्र प्रकाश जी की बीवी का नाम पूजा है। जो एकदम भोली भाली हैं उनका कहना है की “जितना हमसे हो सकता था उससे ज्यादा अपनी सासु माँ की सेवा की है। सासु माँ कम्प्लीट बेड रेस्ट पर थी अब वो चल फिर सकती हैं, ये सब देखकर बहुत अच्छा लगता है। सासु माँ को राहत मिल गई इसलिए ये बहुत खुश रहते हैं इनके चेहरे पर हंसी देखकर हमें भी बहुत खुशी होती है।
तो ये थी भुवनेश जी की कहानी अगर आप भी जोड़ों के दर्द जैसी किसी तकलीफ से गुजर रहे हैं तो जल्द से जल्द हकीम सुलेमान साहब से जुड़ें हो सकता है की भुवनेश जी की तरह आपको भी दर्द में राहत मिल जाए। अगर आप हकीम सुलेमान साहब से जुड़े हुए हैं और आपको फायदा पहुंचा है तो दिए हुए नंबर पर हमसे जुड़े हम आएंगे आपके पास आपकी कहानी जानने।
आप भुवनेश जी के जीवन की पूरी कहानी दी गई वीडियो में देख सकते हैं…
गोंद सियाह क्या है ?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है। यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्या है। इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। यह एक मध्यप्राण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है। गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है। यह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमें उस पेड़ के औषधीय गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हम से दूर रख सकता है।