कमर दर्द से लाचार दत्ता जी की संघर्ष भरी कहानी आपको रुला देगी : जानिए कैसे मिली कमर दर्द में राहत

2 months ago | 5 mins

ये जिंदगी एक संघर्ष है, एक पहेली है जिसे सुलझाना है। इससे हताश हो जाना कोई उपाय नहीं है। हम एक छोटी सी समस्या आने के बाद जिंदगी से परेशान हो जाते हैं लेकिन न जाने कितने लोग ऐसे हैं जिनकी समस्या को अगर आप सुनेंगे तो आपको अपनी समस्या सुई की नोंक से भी छोटी लगने लगेगी। जी हाँ दोस्तों, आज हम आपको जयपुर में फुटपाथ पर रेहड़ी की दुकान लगाने वाले दत्ता जी की दर्द भरी कहानी से अवगत कराने जा रहे हैं। एक रेल हादसे में दोनों पैर कट जाने के बाद दत्ता जी की जिंदगी में मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हो। अगर जयपुर की सरकारी संस्था ने इनकी मदद न की होती तो आज 45 साल की उम्र तक इनकी जिंदगी बद से बदतर हो गई होती। संस्था ने इन्हें नकली पैर दिए जिस वजह से अपना गुजारा करने के लिए फुटपाथ पर दुकान लगाना शुरू कर पाए। लेकिन घंटों बैठे रहने की वजह से इन्हें कमर में भी असहनीय दर्द होना शुरू हो गया। जिसके बाद इनके मन में जियें या मर जाएं जैसे सवाल आना शुरू हो गए। जीवन से इतना परेशान होने के बाद भी दत्ता जी ने हार नहीं मानी। चलिए आपको बताते हैं दत्ता जी की दर्द भरी कहानी जो दत्ता जी ने रोते हुए हमें सुनाई। कैसे अनेकों समस्याएं होने के बावजूद बिना पैरों के दत्ता जी किस तरह से अपनी जिंदगी विता रहे हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अभी इनकी शादी नहीं हुई है।

दत्ता जी की दर्द भारी कहानी।

दत्ता जी अपने परिवार के साथ पुणे, महाराष्ट्र में रहते थे। परिवार में इनके माता-पिता, बहन-भाई सभी थे और एक खुशहाल जिंदगी जी रहे थे। सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन शायद कुदरत को ये मंजूर नहीं था और न ही दत्ता जी को पता था की उनके जीवन में कितना बड़ा मोड आने वाला है। एक दिन दत्ता जी सुबह-सुबह अपने घर से निकले और 11 बजे तक रेल्वे स्टेशन पहुंचे। ट्रेन के आने का समय हो चला था, लोग ट्रेन के आने के इंतजार में थे। स्टेशन पर कोई हलचल नहीं थी सब कुछ ठीक चल रहा था। थोड़ी ही देर में ट्रेन धड़ धड़ आती हुई स्टेशन पर घुसने लगी। ट्रेन आई और चली गई लेकिन इसी बीच यात्रियों के चढ़ते और उतरते समय एक हादसा हुआ, दत्ता जी इस हादसे की चपेट में आ गए और इनके दोनों पैर कट गए। पुलिस को इन्फॉर्म किया गया पुलिस आई और इन्हें अस्पताल ले गई। दत्ता जी को जब होश आया तो इनके दोनों पैर कट चुके थे।

ये खबर जब इनके घर वालों को पता चली तो ऐसी हालत हो गई मानो इनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट चुका हो। अपने परिवार की जिम्मेदारियाँ उठाने वाले दत्ता जी अब अपने ही परिवार के लिए बोझ बन चुके थे। अपनी किस्मत को कोसने, रोने और दर्द सहने के अलावा दत्ता जी अब कुछ नहीं कर सकते थे। कई सालों तक इनकी जिंदगी इसी तरह चलती रही। खाने-पीने और बेड पर लेटे रहने के अलावा दत्ता जी के पास और कोई काम नहीं था। लेकिन कब तक, कोई कब तक इन्हें इस तरह से खिलाता रहेगा? ये सवाल इनके दिमाग में चल रहा था।

सरकारी संस्था ने की मदद

इसी बीच एक दिन सन 2012 में टीवी देखते समय इन्हें जयपुर की एक सरकारी संस्था के बारे में पता चला जो विकलांग लोगों को नकली पैर लगाकर उनकी मदद करती है, इस संस्था से कान्टैक्ट किया और जयपुर पहुँच गए। इस संस्था ने इनकी मदद की, नकली पैर लगवाए और एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए व्हीलचेयर भी उपलब्ध कराई। अब दत्ता जी को अपनी जिंदगी आसान लगने लगी और जिंदगी जीने की एक नई उम्मीद जागी।

दत्ता जी ने कुछ पैसे जुटाए और अपनी जिंदगी का गुजारा करने के लिए फुटपाथ पर बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, नमकीन, बिस्किट, चिप्स इत्यादि बेचना शुरू कर दिया। सुबह के 8 बजे से लेकर रात के 8 बजे तक दुकान चलाने लगे और विधानसभा के सामने कच्ची बस्ती में किराये का एक कमरा लेकर जयपुर में ही रहना शुरू कर दिया। इस कमरे के ऊपर टीन की छत थी, इसी एक छोटे से कमरे में रहते थे और इसी में दुकान का सारा सामान रहता था।

दत्ता जी की कहानी से जुड़े खास महत्वपूर्ण बिंदु:

  1.  रेल हादसे में दोनों पैर कट गए – हादसे के बाद दत्ता जी की जिंदगी बदल गई।
  2.  परिवार पर बोझ बन गए – विकलांगता के कारण परिवार की जिम्मेदारी उठाने में कठिनाई।
  3.  कमर दर्द ने जकड़ा – दुकान लगाने के दौरान कमर में असहनीय दर्द हुआ।

दत्ता जी का संघर्ष

रोजाना सुबह उठते खुद से सारा सामान व्हीलचेयर पर लादते, और बस्ती से एक किलोमीटर दूर टेचू सर्कल पर जाकर फुटपाथ पर अपनी दुकान लगाते। इस तरह अपनी जिंदगी का गुजारा करने लगे। इनकी जिंदगी ठीक से चलना शुरू ही हुई थी की इनके जीवन में एक और समस्या ने दस्तक दे दी। दरअसल, घंटों तक बैठे रहने की वजह से इनकी कमर की रीड की हड्डी में दर्द होना शुरू हो गया। दर्द झेलने की आदत तो इन्हें थी ही इसलिए दत्ता जी ने इस दर्द को इग्नोर किया और दुकान लगाना जारी रखा। लेकिन धीरे धीरे दर्द बढ़ने लगा। जब ज्यादा दर्द होता तो दर्द की दवा खा लेते। लेकिन ये दर्द इतना बढ़ गया की जीना मुश्किल हो रहा था। दर्द की वजह से इनके पास सोने के अलावा कोई और काम नहीं था। कुछ महीनों के बाद एक दिन व्हील चेयर पर सामान लादते समय इनका ये दर्द इतना बढ़ गया की कमर के ऊपर के पूरे हिस्से में असहनीय दर्द होना शुरू हो गया। आखिरकार दत्ता जी को दुकान की जगह अस्पताल जाना पड़ा। डॉक्टर ने 3 से 4 हजार की महीने भर की दवाइयाँ खाने के लिए इन्हें दी। कुछ दिनों में दवाइयाँ खाने से जब इन्हें आराम मिला तो इन्होंने फिर से अपनी दुकान लगाना शुरू कर दी। जैसे ही इनकी दवाइयाँ खत्म हुईं तो कमर का दर्द फिर से शुरू हो गया। डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर में फिर से 1 महीने के लिए दवाइयाँ खाने को दे दी और दर्द के इन्जेक्शन भी लगाए। जब तक दवाइयाँ खाते तभी तक इन्हें आराम मिलता दवाईयां बंद करते ही फिर से दर्द होना शुरू हो जाता। इस तरह इनकी जिंदगी फिर से कठिन हो गई। क्योंकि रोजाना 400 से 500 रुपये कमाने वाले दत्ता जी की लगभग आधी कमाई हर महीने दवाइयों में ही जाने लगी।

दत्ता जी अपने इस दर्द से निजात पाने के लिए दिन-रात भगवान से प्रार्थना करते रहते थे। वो कहते हैं न की जब शिद्दत के साथ प्रार्थना की जाए तो ऊपर वाला सहायता के लिए किसी न किसी को जरूर भेजता है। एक दिन यूट्यूब देखते समय अचानक ही जोड़ों के दर्द से संबंधित हकीम सुलेमान खान साहब की एक वीडियो इनके सामने आ गई। इस वीडियो को पूरा देखने के बाद इन्हें पता चला की हकीम साहब के साथ बहुत सारे लोग जुड़े हुए हैं जिन्हें वर्षों पुराने जोड़ों के दर्द में राहत मिल चुकी है।

हकीम सुलेमान खान साहब के नुस्खे अपनाने के बाद दत्ता जी की जिंदगी में बदलाव:

  1.  दर्द में राहत मिली – हकीम साहब की दवाइयों से 80% आराम मिला।
  2.  आत्मनिर्भर बने – दुकान पहले की तरह चलाने लगे, आर्थिक स्थिति सुधरी।
  3.  नई उम्मीद और आत्मविश्वास – शारीरिक और मानसिक रूप से जीवन में बदलाव आया।

दत्ता जी यूनानी के मशहूर हकीम साहब से कैसे जुड़े? जानें पूरी कहानी

जब कई लोगों के इंटरव्यू देखे तो इन्हें उम्मीद की एक किरण दिखाई देने लगी। यूट्यूब से नंबर निकालकर संस्था में कॉल किया और हकीम साहब की संस्था के काबिल डॉक्टरों की टीम से बात करके अपनी पूरी समस्या बताई। इनकी समस्या को सही से सुनने और समझने के बाद डॉक्टरों ने इन्हें गोंद सियाह, जॉइन्ट फॉर्ट और S. Care लेने की सलाह दी। साथ ही इन्हें ये भी बताया की असली दवा हकीम सुलेमान खान साहब की वेबसाईट Atiya Herbs से ही मिलेगी। दत्ता जी ने डॉक्टरों की बताई हुई यूनानी जड़ी बूटियों को मँगवाया और सेवन करना शुरू कर दिया। पूरे सात साल तक परेशान होने के बाद सात दिनों में इन्हें इस समस्या में राहत मिलना शुरू हो गई। इस जड़ी बूटियों का सेवन करते हुए 4 से 5 महीने ही हुए हैं इन्हें 80% से ज्यादा आराम मिल चुका है। दत्ता जी ने अपने सारे काम पहले की तरह करना शुरू कर दिए हैं। जब हम इनसे मिले इन्होंने हमें बताया “कमर दर्द ने मुझे पूरी तरह से तोड़कर रख दिया था अब हकीम साहब की वजह से फिर से सारे काम पहले की तरह कर पा रहा हूँ। जयपुर में ही अपनी दुकान चलाता हूँ और कुछ त्योहारों जैसे दीपावली और रक्षाबंधन पर अपने घर पर भी चला जाता हूँ।

दोस्तों ये तो थी दत्ता जी कहानी जो 7 साल तक कमर के दर्द से परेशान रहने के बाद हकीम सुलेमान खान साहब के साथ जुड़े और कमर के दर्द में राहत पाने के बाद फिर से अपनी जिंदगी पहले की तरह जीना शुरू कर दी।अगर आप या फिर आपके पास कोई इस तरह की समस्या से पीढ़ित है तो जल्द से जल्द हकीम साहब से जुड़े और तकलीफ में राहत पाएं।

आप दत्ता जी के जीवन की पूरी कहानी दी गई वीडियो में देख सकते हैं...

गोंद सियाह क्या है ?

 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है। यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्या है। इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। यह एक मध्यप्राण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है। गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है। यह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमें उस पेड़ के औषधीय गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हम से दूर रख सकता है।

S. Care क्या है?

S. Care दवा अच्छी तरह से परीक्षण और शोधित है, जो गठिया जैसे मांसपेशियों और जोड़ों के रोगों के रोगियों को पूर्ण संतुष्टि देती है। इतना ही नहीं, अल्सर और मुंहासे जैसी अन्य बीमारियों पर भी यह दवा व्यापक प्रभाव डालती है। लेकिन यह मुख्य रूप से मांसपेशियों और हड्डियों से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने में कारगर है। यह मांसपेशियों की अकड़न का उपचार करता है और दर्द से राहत देता है।

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