हकीम साहब की जड़ी बूटियों ने हनुमान जी में फूंकी जान : 74 साल में 24 वाला जोश
अशोक अग्रवाल जी-दिल्ली । आर. बी. वर्मा-लखनऊ- । एच.एम आनंद-दिल्ली । चौधरी जमील जी-दुबई। दयावती जी-दिल्ली । दयाशंकर तिवारी-लखनऊ। मौलाना उस्मान-दुबई
74 साल की उम्र में 24 वाला जोश, शायद इस लाइन को पढ़ने के बाद आप इस पर यकीन नहीं कर पा रहे हों, लेकिन इसे सच कर दिखाया है जयपुर से 70 किलोमीटर दूर फुलेरा के पास छोटे से गाँव आशिक धानी में रहने वाले हनुमान जी ने। जैसा इनका नाम है वैसे ही इनके काम हैं, हनुमान जी की उम्र 74 साल है। वैसे तो इस उम्र तक आते आते लोग बिस्तर पकड़ लेते हैं। लेकिन हनुमान जी इस उम्र में भी 24 साल के जवान की तरह शारीरिक गतिविधियां करते हैं। बच्चों की तरह उछलते कूदते हैं। हनुमान जी को हम पिछले 9 महीने से जानते हैं जब हनुमान जी कमर का दर्द और घुटनों के दर्द की समस्या को लेकर हकीम सुलेमान खान साहब से जुड़े थे। 9 महीने तक हकीम जी की यूनानी जड़ी बूटियाँ और घरेलू उपायों को अपनाने के बाद, हनुमान जी ने हमें अपनी एक वीडियो क्लिप भेजी जिसमें वो बच्चों की तरह उछलते कूदते नजर आ रहे थे, 74 साल के हनुमान जी से जब हमने इनकी सेहत का राज पूछा तो इन्होंने हमसे कहा की ये सब हकीम सुलेमान खान साहब की बताई हुई जड़ी बूटियों का कमाल है। अगर आप भी इनकी उस वीडियो को देखना चाहते हैं तो आर्टिकल के अंत में जाकर देख सकते हैं।
समय के साथ शरीर का कमजोर होना और जोड़ों का दर्द:
दोस्तों समय के साथ-साथ शरीर का कमजोर होना लाज़मी है, जो काम आप अपनी जवानी में कर लेते हैं उम्र बढ़ने के साथ-साथ उसी काम को करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जिसकी वजह है कैल्शियम और अन्य पोषक तत्वों की कमी के कारण अस्थियों का कमजोर हो जाना। अस्थियों के कमजोर होने का सीधा प्रभाव जोड़ों पर पड़ता है जिसकी वजह से व्यक्ति को घुटनों का दर्द, कमर का दर्द जैसी समस्याएं होना शुरू हो जाती हैं। ज्यादातर लोग किसी भी समस्या का उपचार उस समय करवाते जब समस्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती है और ठीक होने की संभावना लगभग नगण्य हो जाती है। लेकिन कुछ लोग होते हैं जो समझदार होते हैं। समस्या के बढ़ने से पहले ही उपचार करा लेते हैं और अपनी जिंदगी को बढ़िया तरीके से जीते हैं। कुछ इसी तरह की कहानी है हनुमान जी की।
हनुमान जी अपनी बीवी के साथ जयपुर से 70 किलोमीटर दूर फुलेरा कस्बे के गाँव आशिक धानी में रहते हैं इनके दोनों बेटे काम के सिलसिले की वजह से दूसरे शहरों में रहते हैं। हनुमान जी को अपनी जवानी में बवासीर की समस्या ने जकड़ लिया था जिस वजह से पूरे 4 साल तक इन्हें अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़े। अस्पतालों में पैसे और समय बरबाद होने की वजह से हनुमान जी ने अपने जीवन को इस तरह से जीना शुरू किया जिससे की इन्हें कभी भी अस्पताल का मुंह न देखना पड़े। रेल्वे में छोटी-मोटी नौकरी करते हुए हनुमान जी ने अपनी लाइफ में योगा और एक्सर्साइज़ करना शुरू किया। रोजाना 3 से 4 किलोमीटर पैदल चलते थे। इससे ज्यादा दूर आने जाने के लिए साइकिल का उपयोग करते थे।
अचानक हुई दर्द की शुरुआत
एक दिन अचानक हनुमान जी जब साइकिल से अपने घर पहुंचे तो इन्हें कमर के ऊपरी हिस्से में दर्द होना शुरू हो गया। उन्हें लगा की साइकिल पर कोई दचका लगने की वजह से ये समस्या हो गई है। हनुमान जी ने अपनी बीवी से कमर और पैरों की मालिश करवाई जिससे हल्का-फुल्का आराम हो गया। लेकिन रात भर सोने के बाद जब सुबह सोकर उठे तो इन्हें ऐसा लगा जैसे दर्द कम होने की जगह और ज्यादा बढ़ गया हो। सुबह उठकर हनुमान जी ने मेडिकल की दुकान से दर्द की दवाइयाँ लेने गए तो मेडिकल वाले ने इन्हें बाम लगाने को दिया, साथ ही साथ पेन किलर भी खाने को दी। जब तक इन अंग्रेजी दवाइयों का असर रहता तब तक हनुमान जी को दर्द से राहत मिल रही थी। लेकिन दवाइयों का असर जाने के बाद फिर से दर्द होना शुरू हो जाता। जब इनकी ये समस्या कुछ ज्यादा बढ़ गई। तो हनुमान जी की बीवी ने इस समस्या के बारे में बच्चों को बताया। बच्चों को जब पिताजी की पीढ़ा के बारे में पता चला तो उन्होंने पिताजी को अस्पताल में जाकर डॉक्टर से दिखाने को कहा। लेकिन इनके पिताजी अस्पताल नहीं जाना चाहते थे इसलिए उन्होंने डॉक्टर के पास दिखाने से मना कर दिया। देखते ही देखते इस दर्द में ही हनुमान जी के पूरे 2 साल निकल गए और इनका हाल कुछ ऐसा हो गया था की घर के छोटे-मोटे काम भी करने में परेशानी होने लगी थी। ये अपने बिस्तर पर पड़े रहते थे और टीवी देखते रहते थे।
कहानी से जुड़े खास महत्वपूर्ण बिन्दु:
- हनुमान जी ने समय रहते इलाज करवाया और दर्द को बढ़ने से रोका।
- यूनानी जड़ी-बूटियाँ और घरेलू उपायों ने दर्द में राहत दी।
- शारीरिक सक्रियता और व्यायाम से सेहत में सुधार हुआ।
हनुमान जी यूनानी के मशहूर हकीम साहब से कैसे जुड़े? जानें पूरी कहानी?
इसी बीच एक दिन टीवी देखते हुए इन्होंने हकीम सुलेमान खान साहब का प्रोग्राम ‘सेहत और जिंदगी’ देखा। जिसमें हकीम सुलेमान खान साहब जोड़ो के दर्द के लिए यूनानी जड़ी-बूटी और घरेलू उपचार अपनाने की बात कर रहे थे। कुछ दिनों तक हनुमान जी इस प्रोग्राम को देखते रहे। एक दिन इन्होंने एक शख्स का इंटरव्यू देखा जिसे बिल्कुल इन्हीं की तरह कमर दर्द और घुटनों के दर्द की समस्या थी। हकीम सुलेमान खान साहब के द्वारा बताई गई गोंद सियाह का सेवन करने के बाद उसे दर्द में आराम लग गया था। ये सब देखने के बाद हनुमान जी ने हकीम साहब की संस्था में कॉल किया और अपनी समस्या बताई। हकीम साहब के काबिल डॉक्टरों की टीम ने समस्याएं सुनने और समझने के बाद इन्हें गोंद सियाह और हल्दी प्लस कैप्सूल का सेवन करने की सलाह दी।
हनुमान जी ने हकीम सुलेमान खान साहब की वेबसाईट Atiya Herbs से इन जड़ी बूटियों को मँगवा लिया और सेवन करना शुरू कर दिया। कुछ ही दिनों में इन्हें आराम मिलना शुरू हो गया। गोंद सियाह और हल्दी प्लस कैप्सूल का सेवन करते हुए 8 से 9 महीने हो गए हैं। इन दवाइयों के सेवन से इतने फुर्तीले हो गए हैं की जिन एक्सर्साइज़ को लोग जवानी में नहीं कर पाते हैं उसे ये 74 साल की उम्र में करते हैं।
हमने खुद जाकर इनसे बातचीत की और आधा घंटे से ज्यादा एक्सर्साइज़ कारवाई। जिसमें इन्होंने हमें कई तरह की हाथ और पैरों की एक्सर्साइज़, व्यायाम और उछल कूदकर दिखाया। इनकी इस पूरी एक्सर्साइज़ को हमने कैमरे में रिकार्ड भी किया है। इनकी इस विडिओ को आप हकीम साहब के YouTube चैनल ‘हकीम सुलेमान खान’ पर जाकर देख सकते हैं या फिर आर्टिकल के नीचे दिए गए वीडियो पर क्लिक करके भी देख सकते हैं।
हकीम साहब के नुस्खे अपनाने के बाद हनुमान जी की जिंदगी में बदलाव:
- दर्द में राहत मिली, अब वह सक्रिय और स्वस्थ महसूस करते हैं।
- शारीरिक गतिविधियों में सुधार हुआ, 74 की उम्र में भी फुर्तीले हो गए।
- हनुमान जी अब दूसरों को भी हकीम साहब के नुस्खे अपनाने की सलाह देते हैं।
दूसरों को देते हैं हकीम साहब के नुस्खों को अपनाने की सलाह
हनुमान जी को अब हकीम सुलेमान खान साहब की यूनानी जड़ी बूटियों और घरेलू उपचारों पर इतना विश्वास हो गया है की अब वो किसी को भी इस तरह की तकलीफ में देखते हैं तो उसे हकीम सुलेमान खान साहब के बारे में जरूर बताते हैं। अगर आप भी इस तरह की किसी समस्या से परेशान हैं तो हकीम साहब से जुड़कर अपनी तकलीफ में राहत पा सकते हैं।
आप हनुमान जी के जीवन की पूरी कहानी दी गई वीडियो में देख सकते हैं...
गोंद सियाह क्या है ?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है। यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्या है। इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। यह एक मध्यप्राण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है। गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है। यह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमें उस पेड़ के औषधीय गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हम से दूर रख सकता है।
हल्दी प्लस कैप्सूल क्या है?
हल्दी प्लस कैप्सूल शरीर में प्रतिरक्षा और रक्त को शुद्ध करने के लिए डिज़ाइन किया गया एक शक्तिशाली मिश्रण है। हल्दी के गुणों से भरपूर, यह हर्बल सप्लीमेंट पारंपरिक लाभों से कहीं आगे है। यह रक्त को साफ़ करता है, कोलेस्ट्रॉल के इष्टतम स्तर को बढ़ाता है, वात और पित्त असंतुलन के संतुलन को बहाल करता है। एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर, इस फॉर्मूलेशन में उच्च प्रभावकारिता के लिए सलाई और काली मिर्च भी शामिल हैं। ऐसी दुनिया में जहां शुद्ध हल्दी का दैनिक समावेश कम हो रहा है, हकीम सुलेमान खान इन हर्बल कैप्सूल को हल्दी के व्यापक लाभों को प्राप्त करने के एक सुविधाजनक तरीके के रूप में प्रस्तुत करते हैं।