डॉक्टर ने कहा ग्रीस खत्म हो गया है, घुटने बदलने पड़ेंगे। बिना ऑपरेशन के घुटनों के दर्द में दौड़ाया ट्रैक्टर, जानिए कैसे?
अशोक अग्रवाल जी-दिल्ली । आर. बी. वर्मा-लखनऊ- । एच.एम आनंद-दिल्ली । चौधरी जमील जी-दुबई। दयावती जी-दिल्ली । दयाशंकर तिवारी-लखनऊ। मौलाना उस्मान-दुबई
जब परिवार का कोई एक सदस्य भी बीमार होता है तो उस सदस्य की पीढ़ा और तकलीफ को देखकर पूरा का पूरा घर परेशान हो जाता है। ऐसी स्थिति में परिवार के लिए यह एक बड़ा चुनौतीपूर्ण समय होता है। अगर घर का मुखिया ही बीमार पड़ जाए तो परिवार को आर्थिक, सामाजिक और भावनात्मक पहलुओं से सामना करना पड़ता है। कुछ ऐसी ही कहानी है। जयपुर से 40 किलोमीटर दूर चाकसू शहर में रहने वाले सैनी साहब की इनके जीवन में एक समय ऐसा आया था जब इन्हें घुटनों के दर्द और नसों में ब्लॉकेज की समस्या से सालों तक जूझना पड़ा।
कौन हैं सैनी साहब, इनके घुटनों में दर्द की शुरुआत कैसे हुई?
दरअसल सैनी साहब पेशे से एक किसान हैं। इनका पूरा नाम जगदीश नारायण सैनी है। अपने बीवी बच्चों के साथ जयपुर से 40 किलोमीटर दूर चाकसू शहर में मामोड़ियों के मोहल्ले में रहते हैं। जबसे इन्होंने होश संभाला है तब से खेती बाड़ी का सारा काम खुद ही संभालते आ रहे हैं।
खड़े-खड़े काम करने और गलत तरीके से वजन उठाने-धरने की वजह से 50 की उम्र तक आते-आते इनके घुटनों में दर्द होना शुरू हो गया। शुरूआत में तो दर्द को मामूली समझकर अपनी बीवी से पैरों की मालिश कराते रहे जिससे इन्हें आराम मिल जाता और अच्छी नींद भी आ जाती। परंतु ये सिलसिला कई महीनों तक चलता रहा और घुटनों का दर्द भी बढ़ता रहा। कुछ महीनों में दर्द का असर इतना बढ़ गया की इनको मालिश से आराम मिलना बंद हो गया। अब दर्द में राहत पाने के लिए सैनी साहब ने मेडिकल से दर्द की दवाइयाँ लेकर खाना शुरू कर दी। समस्या कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी तो इनकी बीवी प्रेमलता ने बेटे को इस समस्या के बारे में बताया।
क्या है सैनी साहब की दर्द भरी कहानी?
सैनी साहब के बेटे ने जयपुर के साकेत अस्पताल में पिताजी के घुटनों की जांच करवाई। डॉक्टर ने बताया की घुटनों की ग्रीस खत्म हो गई है। डॉक्टर ने दर्द कम करने के लिए घुटनों में इन्जेक्शन लगाए और कुछ अंग्रेजी दवाइयाँ खाने के लिए भी दी। जब तक अंग्रेजी दवाइयों का असर रहता तब तक तो इन्हें आराम मिल जाता लेकिन दवाइयों का असर खत्म होते ही फिर से दर्द शुरू हो जाता। इस तरह सैनी साहब ने पूरे 18 साल तक लाखों रुपये खर्च किए। वे राहत की खोज में डॉक्टरों के पास जाते, इलाज कराते, लेकिन किसी भी तरह का आराम उन्हें नहीं मिल पा रहा था। दवाइयों का सेवन करते हुए कई साल गुजर गए। इस बीच इनकी पत्नी प्रेमलता जी ने इनकी बहुत सेवा की। रोजाना घुटनों की मालिश करती थी, जिससे इन्हें बड़ा आराम मिलता था।
अंग्रेजी दवाइयों का हद से ज्यादा सेवन करने की वजह से 2006 आते-आते नसों में ब्लोकेज की समस्या हो गई और इनकी साँस फूलने लगी। अब इनकी समस्या इतनी बढ़ गई की बेड पर एक ही जगह बैठे-बैठे अपना जीवन गुजारने के लिए मजबूर हो गए। बेड से उठने के बाद थोड़ी ही देर चलने पर इनके दिल की धड़कने बढ़ जाती थी। एक तरफ ये समस्या और दूसरी तरफ जोड़ों के दर्द की वजह से चल नहीं पाते थे। बाइक नहीं चला पाते थे, इंडियन टॉइलेट का यूज नहीं कर पाते थे इसलिए खेतों को संभालने के लिए लोग और ट्रैक्टर चलाने के लिए ड्राइवर रखना पड़ा। सीढ़ियाँ न चढ़ पाने की वजह से पूरे 20 साल तक खुद की छत पर तक नहीं जा पाए।
कहानी से जुड़े खास महत्वपूर्ण पॉइंट्स:
- सैनी साहब के घुटनों में दर्द और नसों में ब्लॉकेज की समस्या से वे बिस्तर पर पड़े थे।
- डॉक्टरों से राहत न मिलने के बाद हकीम साहब की यूनानी जड़ी बूटियों से उन्हें मदद मिली।
- गोंद सियाह और जैतून के सिरके के सेवन से सैनी साहब फिर से ट्रैक्टर चलाने लगे।
सैनी साहब हकीम सुलेमान खान साहब से कैसे जुड़े?
हर तरफ से हार चुके सैनी साहब अब किसी काम के नहीं रहे थे। इसी बीच एक दिन सैनी साहब मोबाईल पर YouTube खोलकर videos को स्क्रॉल कर रहे थे। तो इन्हें हकीम सुलेमान खान साहब की एक वीडियो मिली जिसमें हकीम सुलेमान खान साहब घुटनों के दर्द में कारगर यूनानी जड़ी बूटी गोंद सियाह के फ़ायदों के बारे में बता रहे थे। इस वीडियो को देखने के बाद सैनी साहब ने और भी कई वीडियोज़ देखे तो इन्हें पता चला की हकीम साहब अनेकों बीमारियों के लिए यूनानी जड़ी बूटी और घरेलू उपाय बताते हैं। इनके बताए हुए नुस्खों और उपायों को अपनाकर कई लोगों की सालों पुरानी समस्याएं दूर हो गई हैं।
ये सब देखने के बाद सैनी साहब को उम्मीद की एक किरण दिखाई देने लगी। उन्होंने तुरंत वीडियो में दिए हुए नंबर पर कॉल किया और हकीम सुलेमान खान साहब के काबिल डॉक्टरों की टीम के साथ कान्टैक्ट करके अपनी घुटनों के दर्द की समस्या और नसों में ब्लोकेज की समस्या के बारे में बताया। इनकी समस्या को अच्छी तरह से सुनने और समझने के बाद डॉक्टरों ने इन्हें गोंद सियाह और जैतून का सिरका मँगवाकर सेवन करने को कहा। साथ ही ये भी बताया की ये असली दवाइयाँ हकीम सुलेमान खान साहब की वेबसाईट Atiya Herbs पर ही मिलेंगी।
सैनी साहब ने दोनों जड़ी बूटियाँ मँगवाकर संस्था के डॉक्टरों द्वारा बताए गए निर्देशों के अनुसार लेना शुरू कर दिया। 10 से 15 दिन तक सेवन करने के बाद इन्हें पहले से बेहतर महसूस होने लगा जिससे सैनी साहब का विश्वास बढ़ा और उन्होंने इस दवा को खाना जारी रखा। इन दवाओं का सेवन करते हुए अभी इन्हें 5 से 6 महीने ही हुए हैं। अब पूरा परिवार और मोहल्ला हैरान है की दो कदम न चलने वाले सैनी साहब अब मोटर साइकिल और ट्रैक्टर चला रहे हैं। खेतों पर जाकर खुद से खेती भी करने लगे हैं। इतना ही नहीं सैनी साहब अब सीढ़िया भी चढ़ जाते हैं। जब जगदीश नारायण सैनी साहब ने कॉल करके हमें बताया की उन्हें बिना ऑपरेशन के ही सभी समस्याओं से राहत मिल गई है। अस्पताल की जगह फिर से खेतों पर जाना शुरू कर दिया है। तो हम इनके घर गए जहाँ इन्होंने हमें सीढ़ियाँ चढ़कर और ट्रैक्टर चला कर दिखाया। आप भी नीचे दी गई विडिओ में सैनी साहब को सीढ़ियों पर चढ़ते हुए और ट्रैक्टर चलाते हुए देख सकते हैं।
हकीम साहब के नुस्खे अपनाने के बाद सैनी साहब की जिंदगी में बदलाव:
- 10-15 दिन में सैनी साहब को दर्द में राहत मिली, विश्वास बढ़ा और इलाज जारी रखा।
- 5-6 महीने बाद सैनी साहब अब बिना दर्द के ट्रैक्टर और बाइक चला रहे हैं।
- हकीम साहब के नुस्खे से सैनी साहब अब सीढ़ियाँ चढ़ने में सक्षम हो गए हैं।
हकीम साहब के बारे में सैनी साहब क्या कहते हैं?
सैनी साहब को इतने जल्दी तो ऑपरेशन होने के बाद भी आराम मिलने की उम्मीद नहीं थी जितने जल्दी हकीम साहब के यूनानी नुस्खों से इन्हें आराम मिल गया। सैनी साहब हकीम साहब को दिल से दुआ देते हैं और हकीम साहब के हजारों साल जीने की कामना करते हैं। इन्हें शुगर की समस्या भी हो गई थी जिसके लिए इन्होंने गोंद जामुन मँगवाकर खाना शुरू किया है।
इस प्रकार हकीम सुलेमान खान साहब के साथ जुड़ने के बाद, सैनी साहब ने न केवल अपने स्वास्थ्य को सुधारा, बल्कि अपने परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन की दिशा में कदम बढ़ाया। अगर आपके आस पास भी कोई किसी भी तरह के दर्द से पीढ़ित है तो उस तक इस जानकारी को जरूर पहुचाएं ताकि कम से कम पैसों में दर्द की समस्या में राहत मिल सके।
आप सैनी साहब के जीवन की पूरी कहानी दी गई वीडियो में देख सकते हैं…
गोंद सियाह क्या है ?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है। यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्या है। इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। यह एक मध्यप्राण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है। गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है। यह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमें उस पेड़ के औषधीय गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हम से दूर रख सकता है।
जैतून का सिरका क्या है?
हकीम सुलेमान साहब का जैतून का सिरका विभिन्न रोगों जैसे मधुमेह नियंत्रण, पाचन, गैस्ट्रिक से संबंधित समस्या, लिवर से संबंधित समस्या, गुर्दे से संबंधित समस्या, उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल की समस्या के लिए एक आदर्श हर्बल उपचार है। हकीम साहब के अनुसार जैतून का सिरका शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए काफी असरदार है। शुगर के लिए यह सिरका फायदेमंद है। जैतून का सिरका पूर्ण रूप से आयुर्वेदिक है। इसके इस्तेमाल से किसी भी प्रकार का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। इसकी खुराक को हकीम साहब या हकीम साहब की कंपनी के डॉक्टरों द्वारा बताई गयी मात्रा में ही लेना चाहिए। ज्यादा मात्रा में इसका सेवन इसकी काम करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
गोंद जामुन क्या है?
हकीम सुलेमान खान साहब का गोंद जामुन एक प्राकृतिक उत्पाद है। यह एक हर्बल बूटी है जिसका उपयोग स्वस्थ जीवन और खुशहाली के लिए सदियों से किया जा रहा है। यूनानी की इस दवा को मुख्य तौर पर इस्तेमाल शुगर की समस्या को कंट्रोल करने के लिए किया जाता है। शुगर की समस्या में इस गोंद को काफी असरदार और गुणकारी माना जाता है। इस गोंद को इस्तेमाल करने से कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।