5 साल के दर्द को 5 महीने में दी मात: जयपुर की लाडा देवी से जानिए कमर दर्द का अचूक उपाय

2 months ago | 5 mins

आजकल युवाओं में स्लिप डिस्क की समस्या काफी बढ़ रही है। आम भाषा में लोग इसे साइटिका भी कहते हैं। हड्डियों में चोट, गलत पॉश्चर में बैठने, खराब लाइफस्टाइल व भारी सामान उठाने की वजह से हमारी रीढ़ की हड्डियों के बीच में मौजूद जेल यानि की डिस्क अपनी जगह से स्लिप हो जाता है। इस स्थिति को ही स्लिप डिस्क कहा जाता है। स्लिप्ड डिस्क या डिस्क प्रोलैप्स के कारण तंत्रिका तंत्र पर दबाव पड़ने लगता है। जिसके कारण पीठ के निचले हिस्से में अचानक गंभीर दर्द, पैर में जलन, झुनझुनी, सुन्नता जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इससे व्यक्ति का लेटना, बैठना और खड़ा होना तक मुश्किल हो जाता है। अक्सर लोग स्लिप डिस्क को सामान्य कमर दर्द समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। इस लापरवाही की वजह से कभी कभी ये दर्द इतना बढ़ जाता है की ऑपरेशन कराने तक की नौबत आ जाती है।

कहानी की शुरुआत

कुछ ऐसी ही कहानी है जयपुर से 70 किलोमीटर दूर श्यामपूरा गाँव में रहने वाली हनुमान जी की पत्नी लाडा देवी की। इनकी उम्र 65 साल है। एक दिन लाडा देवी हनुमान जी की मौसी को सहारा देकर बिस्तर पर लिटा रही थीं। उसी समय लाडा देवी एक पैर फिसला और मौसी का पूरा वजन लाडा देवी पर आ गया। जिस कारण अचानक ही उनकी कमर में गंभीर दर्द होना शुरू हो गया। कुछ देर तक बिस्तर पर लेटने के बाद लाडा जी को महसूस हुआ की दर्द कम हो गया है तो लाडा जी फिर से अपने काम पर लग गईं परंतु जब लाडा जी दूध से भरी किटली उठाने की लिए झुकी तो फिर से कमर के बीचों बीच असहनीय दर्द और कमर की मांसपेशियों में जकड़न होने लगी। लाडा जी को लगा की कुछ दिनों में ये दर्द अपने आप ठीक हो जाएगा। इनकी इसी लापरवाही की वजह से कुछ दिनों में ये दर्द इतना बढ़ गया की उठने-बैठने यहाँ तक की लेटने तक में परेशानी दिखने लगी।

इस समस्या को बढ़ते देख हनुमान जी ने लाडा देवी को जयपुर के अस्पताल में भर्ती करवाया जहां चेकअप करने के बाद इन्हें पता चला की डिस्क की समस्या हो गई है। शुरुआत में कुछ दवाइयाँ देकर डॉक्टर ने 15 दिन के बाद फिर से अस्पताल आने के लिए कहा। इनके सभी बच्चे बाहर शहर में रहते थे। इस समस्या के बारे में जब उनको पता चला तो उन्होंने अपने माता-पिता से शहर में आकर रहने को बोला। लेकिन अपने 20 मवेशी, खेती-बाड़ी और घर बार को छोड़कर इनका जाने का मन नहीं हुआ क्योंकि इनके अलावा घर ग्रहस्थी देखने वाला कोई नहीं था। 15 दिन तक लगातार अंग्रेजी दवाइयाँ खाने के बाद भी जब लाडा जी को आराम नहीं मिला तो हनुमान जी एक बार फिर अस्पताल पहुंचे। इस बार डॉक्टर ने डिस्क का ऑपरेशन कराने की सलाह दी लेकिन लाडा जी ने कुछ महीने और दवाइयाँ खाना उचित समझा। कई महीने लगातार अंग्रेजी दवाइयों का सेवन करने से इन दवाइयों के साइड इफेक्ट दिखने शुरू हो गए। लाडा जी का मोटापा बढ़ने लगा और सांस आने में तकलीफ होने लगी। इस तरह दर्द में ही कई महीने निकल गए। कुछ ही महीनों में इनका पूरा घर बार उथल-पुथल हो गया। क्योंकि घर में हनुमान जी ही थे जिन्हें लाडा जी का ख्याल रखना पड़ता था। अब मवेशियों की सेवा करने वाला और उनका दूध निकालने वाला कोई नहीं था। जिस वजह से हनुमान जी को आधे से ज्यादा मवेशियों को बेचना पड़ा। लाखों रुपया दवाइयों में बर्बाद हो गया। गंभीर दर्द होने की वजह से लाडा जी के साथ-साथ हनुमान जी को भी कई रातें बिना सोये गुजारनी पड़ी। इस तरह पूरे पाँच से छह साल तक परेशान रहने के बाद हनुमान जी ने लाडा जी का ऑपरेशन कराने के बारे में सोचा।

लाडा देवी यूनानी के मशहूर हकीम साहब से कैसे जुड़ी? जानें पूरी कहानी?

इसी बीच एक दिन रात में टीवी देखते समय हनुमान जी ने साधना न्यूज चैनल पर हकीम सुलेमान खान साहब का प्रोग्राम देखा। हनुमान जी ने इस प्रोग्राम में हकीम सुलेमान खान को बहुत सारे ऐसे लोगों के साथ बातचीत करते हुए सुना जो कई सालों से कमर का दर्द, घुटने का दर्द, साइटिका का दर्द जैसी समस्याओं से परेशान थे और हकीम साहब के साथ जुड़कर उनके यूनानी नुस्खे और घरेलू उपचारों को अपनाकर स्वस्थ होकर फिर से पहले की तरह अपनी जिंदगी को बेहतर तरीके से जी पा रहे थे। ये सब देखने के बाद हनुमान जी को लाडा जी के ठीक होने के लिए एक आशा की किरण नजर आने लगी और ऑपरेशन कराने से पहले एक बार हकीम साहब के नुस्खों को अपनाने के बारे में सोचा।

कहानी से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु:

  1. लिप डिस्क और साइटिका: रीढ़ की हड्डी में डिस्क स्लिप होने से गंभीर दर्द और परेशानी होती है।
  2. लापरवाही से बढ़ता दर्द: शुरुआत में दर्द को नजरअंदाज करने से समस्या और गंभीर हो गई।
  3. ऑपरेशन का डर: लगातार दवाइयों से आराम न मिलने पर ऑपरेशन की संभावना बनी थी।

हकीम सुलेमान खान साहब के नुस्खे, नुस्खों का असर और फायदा

हनुमान जी ने टीवी पर चल रहे नंबरों पर कॉल करके हकीम सुलेमान खान साहब के काबिल डॉक्टरों की टीम के साथ संपर्क किया और उन्हें अपनी बीवी की सम्पूर्ण समस्या से अवगत कराया। हकीम साहब के डॉक्टरों की टीम ने इनकी सभी समस्याओं को सुनने और समझने के बाद हकीम सुलेमान खान साहब की वेबसाईट Atiya Herbs से असली गोंद सियाह और R. Care Capsule मंगाकर सेवन करने की सलाह दी। शायद आपको यकीन न हो लेकिन जो काम अंग्रेजी दवाइयाँ पूरे 5 से 6 साल में नहीं कर पाईं। वो हकीम सुलेमान खान साहब के नुस्खों ने महज डेढ़ महीने में कर दिखाया।

डेढ़ महीने में लाडा जी ने खाना बनाना शुरू कर दिया। अभी तक इन्हें इन यूनानी नुस्खों का सेवन करते हुए 4 से 5 महीने ही हुए हैं अब लाडा जी घर के सारे काम कर लेती हैं। इनका बहुत बड़ा आँगन है। अकेले ही पूरे आँगन में झाड़ू लगा लेती है। दर्द इतना था की झुक नहीं पाती थी झुकते ही दर्द होना शुरू हो जाता था। अब आलम ये है की इन्होंने मवेशियों की सेवा करना फिर से शुरू कर दिया है और फिर से गाय का दूध लगाने लग गई हैं। चूल्हे पर रोटियाँ बनाने लगी। मतलब अब फिर से इनकी जिंदगी पहले की तरह हो गई है। जब हम लाडा जी के पति हनुमान जी से मिले तो उन्होंने हमें बताया की हमारा तो पूरा घर ही उजड़ गया था लेकिन अब ऊपर वाले की कृपा से और हकीम सुलेमान खान साहब के यूनानी नुस्खों से बिना ऑपरेशन के ही लाडा देवी स्वस्थ हो गईं हैं और हमारे घर में फिर से रौनक आ गई है। भगवान सुलेमान साहब को लंबी उम्र दे जिससे लोगों को नए नए यूनानी नुस्खों के बारे में पता चलता रहे।

लाडा जी के गाँव में 200 से ज्यादा परिवार रहते हैं सभी को इनकी इस समस्या के बारे में पता था। हकीम साहब के नुस्खे से इन्हें आराम मिलने से गाँव के सभी लोग भी बहुत खुश हैं क्योंकि लाडा जी के जरिए उन सभी को भी हकीम सुलेमान खान साहब के बारे में पता चल चुका है। अगर किसी को कोई भी समस्या होती है तो डॉक्टर को दिखाने से पहले हकीम साहब के नुस्खे अपनाते हैं। अगर आप भी इस तरह की किसी समस्या से ग्रसित हैं तो हकीम साहब से जुड़ें और दर्द में राहत पाए।

हकीम साहब के नुस्खे अपनाने के बाद लाडा देवी की जिंदगी में बदलाव:

  1. जल्द आराम मिला: हकीम साहब के नुस्खे से महज डेढ़ महीने में दर्द में राहत मिली।
  2. स्वस्थ जीवन: लाडा देवी अब घर के सभी काम खुद करने लगीं, मवेशियों की देखभाल करने लगीं।
  3. नए उत्साह के साथ जीवन: दर्द से मुक्ति के बाद उनका जीवन पहले जैसा सक्रिय और खुशहाल हो गया।

कहीं आप भी तो नहीं हो रहे हैं साइटिका के शिकार ? समय रहते जानिए लक्षण और उपाय।

साइटिका की समस्या होने पर ज्यादातर मामलों में एक पैर में दर्द होता है। लेकिन कभी कभी दोनों पैरों के घुटनों, जांघों और कमर के पिछले हिस्से में तेज झनझनाहट या फिर तेज दर्द होना शुरू हो जाता है। कभी कभी रात में अचानक बहुत तेज दर्द हो जाता है। ऐसी स्थिति में पीठ के बल सोना सबसे अच्छा माना जाता है। साथ ही, घुटनों या पैरों के नीचे तकिया लगाकर लेटना चाहिए, जिससे रीढ़ को सहारा मिलता है और पीठ की मांसपेशियों भी रिलैक्स होती हैं जिससे दर्द में आराम मिलता है।

आप लाडा देवी जी के जीवन की पूरी कहानी दी गई वीडियो में देख सकते हैं...

गोंद सियाह क्या है ?

 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है। यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्या है। इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। यह एक मध्यप्राण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है। गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है। यह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमें उस पेड़ के औषधीय गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हम से दूर रख सकता है।

R. Care दवा क्या है?

अगर आपको जोड़ों में दर्द और सूजन की लगातार समस्या रहती है तो “Atiya Herbs” से “R. Care” मंगाकर खाएं इस दवा की मदद से जोड़ों का गंभीर दर्द, जोड़ों में अत्यधिक सूजन और त्वचा पर जलन गायब हो सकती है। यह औषधि पूर्ण रूप से भारतीय जड़ी बूटियों को मिलाकर बनाई गयी है। इस औषधि के इस्तेमाल से किसी भी प्रकार का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।

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