महिलाओं के लिए प्रेरणा है मंजू जी की ये कहानी, 10 साल परेशानी के बाद मिला जोड़ों के दर्द और अस्थमा का सही उपचार

1 Days ago | 5 mins

महिलाएं अपनी तकलीफों को अक्सर अपने अंदर ही दबा कर रखती हैं। वे अपने परिवार के लिए हर दर्द, हर परेशानी को छुपा कर सहती रहती हैं। परिवार के किस व्यक्ति को क्या परेशानी है उन्हें सबका ख्याल होता है लेकिन उनका ख्याल किसी को नहीं होता। क्या उनके पति और बच्चों की जिम्मेदारी नहीं बनती की वो भी उनका ख्याल रखें, उन्हें ऑब्जर्व करें और समय-समय पर ये जानने की कोशिस करें कहीं वो किसी तरह की समस्या से तो नहीं जूझ रही हैं। आज की ये कहानी ऐसी ही एक महिला की है जो पिछले 10 सालों से जोड़ों के दर्द, विशेष रूप से घुटनों के दर्द से परेशान थीं? अचानक शुरू हुआ हल्का सा दर्द इस लेवल तक बढ़ गया था की खुद से पानी का गिलास उठाना तक मुश्किल हो गया था। इसके अलावा इन्हें अस्थमा यानि की साँसों की प्रॉब्लम थी। इनकी पूरी कहानी से आपको अवगत कराएंगे लेकिन पहले जान लेते हैं की ये महिला (मंजू चोपड़ा) कौन है?

मंजू चौपड़ा की तकलीफ और समस्याओं से भरा संघर्षशील जीवन?

मंजू चौपड़ा एक हाउस्वाइफ हैं जो दिल्ली के शकरपुर में रहती हैं। इनकी उम्र 55 साल है। इनके परिवार में इनके पति, बेटी - बेटा और इनकी बूढ़ी माँ रहती है। परिवार में रहने वाले सभी सदस्यों की जिम्मेदारी मंजू जी पर थी जिसे वो भली-भांति संभाल रही थीं लेकिन जोड़ों के दर्द और अस्थमा की समस्या की वजह से इनके जीवन में एक समय ऐसा आया था की इनका पूरा परिवार परेशान हो गया था, खुद बिस्तर पर बैठकर अपने पति और बच्चों को काम करते हुए देखती थी तो इन्हें बहुत तकलीफ होती थी।

मंजू जी का जीवन बहुत बढ़िया चल रहा था और अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को बड़े अच्छे से निभा रही थीं। परिवार के सभी सदस्यों को खाना बनाना, घर की साफ-सफाई करना, झाड़ू-पोंछा लगाना, कपड़े धुलना इन्हीं सब कामों में उनका दिन कब गुजर जाता था पता ही नहीं चलता था। रात्रि होने पर फिर से खाना बनाना, बर्तन धुलना और सोना और फिर दूसरे दिन फिर वही सब। लेकिन जीवन कभी किसी का एक जैसा नहीं रहता जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। मंजू जी का वजन थोड़ा ज्यादा था और ऊपर से इतना काम इस वजह से समय गुजरने और उम्र बढ़ने के साथ इन्हें जोड़ों में दर्द शुरू हो गया, घुटनों से शुरू हुआ ये दर्द कुछ ही महीनों में शरीर के दूसरे जोड़ों में भी महसूस होने लगा था।

डॉक्टरों ने दी ऑपरेशन कराने की सलाह

धीरे-धीरे दर्द इतना बढ़ गया की उठना-बैठना और खड़े रहना तक मुश्किल हो गया, झुकना तो जैसे असंभव सा लगता था। एक समय इनके जीवन में ऐसा आया जब वह खुद से एक गिलास पानी तक नहीं उठा पा रही थीं, अगर नीचे फ्लोर पर बैठ जाती थीं तो उठना मुश्किल हो जाता था और खुद को घसीटते हुए बेड तक पहुँचती थी। इनकी इस हालत की वजह से उनके पति, बेटा, और बेटी को घर के काम जैसे बर्तन धोना और कपड़े धोना खुद से करने पड़ रहे थे। इनका दर्द इतना बढ़ चुका था कि वह सोचने लगी थीं कि शायद उन्हें अपनी जिंदगी को खत्म कर लेना चाहिए। सांस की समस्या यानी अस्थमा और घुटनों का दर्द उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन चुका था। उनकी स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि वे घर से बाहर जाने से कतराती थीं। शुरुआत मे घर पर मालिश करती रहीं फिर कई डॉक्टरों को दिखाया, जिसने जहां बताया वहाँ-वहाँ डॉक्टरों को दिखाया , और विभिन्न प्रकार की दवाइयाँ खाईं लेकिन कुछ खास फर्क नहीं पड़ा। कभी-कभी वे दर्द से इतना परेशान हो जातीं कि रोने लगती थीं। अंततः चिकित्सा विशेषज्ञों ने ऑपरेशन कराने के लिए बोल दिया था, लेकिन मंजू जी ऐसे कई लोगों को जानती थीं जो ऑपरेशन कराने के बावजूद दर्द से जूझ रहे थे इसलिए ऑपरेशन को लेकर उनका डर इतना था कि उन्होंने उसे करने का निर्णय नहीं लिया।

मंजु जी की मुख्य समस्याएं:

  • घुटनों के दर्द ने उठना-बैठना मुश्किल कर दिया था।
  • अस्थमा की समस्या से सांस लेना तक कठिन हो गया था।
  • घर के कामों को करने में लाचार हो गई थीं।

हकीम साहब से जुड़ने के बाद मिली दर्द में राहत।

सालों तक परेशान होने के बाद, जीवन की कठिनाइयों के बीच एक दिन मंजू जी ने टीवी पर हकीम सुलेमान साहब का प्रोग्राम “सेहत और जिंदगी” देखा। इस प्रोग्राम में उन्होंने देखा कि हकीम साहब के प्राकृतिक नुस्खों से अनेकों ऐसे लोग स्वस्थ हो चुके जो कई सालों से परेशान थे और स्वस्थ होने की उम्मीद खो चुके थे। इस प्रोग्राम को देखकर उनकी पत्नी ने हकीम साहब के बताए गए नुस्खे अपनाने का फैसला किया और हकीम साहब की संस्था में कॉल करके अपनी समस्या बताई। हकीम साहब की संस्था के काबिल डॉक्टरों की टीम ने मंजू जी की समस्या को अच्छे से सुनने और समझने के बाद गोंद सियाह, T.Care कैप्सूल और जैतून नमक भेजा। इन नुस्खों के सेवन से कुछ ही हफ्तों में उन्हें फर्क महसूस होने लगा। उनके घुटनों का दर्द कम होने लगा और सांस की समस्या में भी राहत मिली। जोड़ों के दर्द और अस्थमा में मिली राहत से उनका मनोबल बढ़ा और नुस्खों का सेवन जारी रखा जिससे वे धीरे-धीरे अपने पुराने जीवन की ओर लौटने लगीं। इस बीच उनके पति ने इनका पूरा साथ दिया। मंजू जी को आराम करने को बोला और खुद से चाय बनाकर पिलाई। पूरे 6 महीने तक इन नुस्खों के सेवन से उनका स्वास्थ्य काफी बेहतर हो गया है। हकीम साहब के प्राकृतिक नुस्खों के सेवन से न सिर्फ उनका घुटनों का दर्द दूर हुआ, बल्कि उनकी शारीरिक क्षमता भी बढ़ने लगी। अब वह आसानी से उठ सकती हैं, बैठ सकती हैं और झुककर काम कर सकती हैं। पहले किचन में जाने से कतराने वाली महिला अब खुद से चाय बनाती हैं, आटा गूंथती हैं, नाश्ता तैयार करती हैं और कपड़े धोती हैं। वह अब न सिर्फ अपने घर के काम करती हैं, बल्कि अपनी मां की सेवा भी करती हैं। अब वह पूरे दिन सक्रिय और खुशहाल महसूस करती हैं। परिवार के लोग भी अब उन्हें पहले की तरह स्वस्थ देखकर बहुत खुश हैं।

हकीम साहब के नुस्खे अपनाने के बाद बदलाव :

  1. जोड़ों के दर्द में राहत मिलने से मंजू जी ने अपने जीवन को सामान्य रूप से जीना शुरू किया।
  2. पहले जो काम करना असंभव लगता था, अब मंजू जी आसानी से किचन में काम कर पाती हैं।
  3. हकीम साहब के नुस्खे से उनकी शारीरिक क्षमता में सुधार हुआ और अब वह सक्रिय रूप से काम करती हैं।

मंजू जी का उनकी तरह दर्द से परेशान महिलाओं के लिए संदेश।

मंजू जी का उनकी तरह दर्द से परेशान महिलाओं के लिए संदेश है कि महिलायें दर्द से संबंधित छोटी-छोटी तकलीफों को न छुपाएं। क्योंकि ये छोटी-छोटी समस्याएं कब बड़ा रूप ले लेती है इसका कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता। अगर कोई महिला दर्द की किसी समस्या से जूझ रही है तो जल्द से जल्द उचित कदम उठाये क्योंकि उचित उपचार और सही दिशा में कदम बढ़ाने से ही आपके जीवन में सुधार हो सकता है। ये तो थी मंजू जी की कहानी अगर आप भी किसी शारीरिक परेशानी और दर्द से जूझ रहे हैं, तो हकीम साहब के देशी नुस्खों को अपनाकर जिंदगी में बदलाव ला सकते हैं। दिए गए नंबर पर अपनी तकलीफों को साझा करें और उचित उपचार पाकर अपना जीवन बेहतर बनाएं।

आप मंजु चोपड़ा जी के जीवन की पूरी कहानी दी गई वीडियो में देख सकते हैं…

गोंद सियाह क्या है ?

 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है। यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्या है। इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। यह एक मध्यप्राण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है। गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है। यह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमें उस पेड़ के औषधीय गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हम से दूर रख सकता है।

T. Care क्या है?

T. Care हकीम सुलेमान खान साहब के द्वारा तैयार की गई S. Care और R. Care दवाओं का मिश्रण है, जो ऑर्थोपेडिक्स और मांसपेशियों की समस्याओं से लड़ने और आराम दिलाने में सहायक है। अगर आप शरीर के किसी भी तरह के दर्द से परेशान हैं या फिर जोड़ों में सूजन की वजह से दुखी हैं, और हर तरह का इलाज कर चुके हैं लेकिन आराम नहीं मिल रहा है तो T. Care आपके लिए समाधान हो सकता है इसे एक बार जरूर अपनाएं।

Back to blog