16 साल तक तकलीफ सहने के बाद इस गोंद से नफीस साहब को कंधों के दर्द में मिला 99% आराम।

2 months ago | 5 mins

समस्याएं जब भी जिंदगी में आती हैं तो हर कदम पर कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता है, जो हमें हमारी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करता है। एक बहुत ही प्रसिद्ध और गहरी कहावत है "जिंदगी इम्तिहान लेती है।" ये लाइन आपने जरूर सुनी होगी। जिंदगी के ये इम्तिहान हमें मजबूत बनाते हैं, अपनी आत्मा की गहराई में लेकर जाते हैं और हमें अपने लक्ष्यों की दिशा में अग्रसर रहने के लिए प्रेरित करते हैं।

नफीस साहब की दर्द भरी कहानी

दआज हम आपको जिस कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं वो बहुत ही दर्द भरी है। ये कहानी है जयपुर में रहने वाले नफीस साहब की। जिम्मेदारियों के तले दबे हुए इनके कंधों में से एक कंधे ने इनका साथ छोड़ दिया जिसके बाद नफीस साहब अपनी जिंदगी खटिया पर पड़े-पड़े बिताने के लिए मजबूर हो गए। ये दर्द इतना असहनीय और तकलीफ दायक था की आज जब भी उन्हें वो दर्द याद आता है तो सिरह उठते हैं। नफीस साहब दिल्ली की एक प्राइवेट कंपनी में कपड़े सिलने का काम करते थे बीवी-बच्चों की जिम्मेदारियों के तले दबे हुए नफीस साहब की जिंदगी में सबकुछ लगभग ठीक ही चल रहा था। लेकिन वो कहते हैं ना की समस्याएं कभी बताकर नहीं आती कुछ ऐसा ही हुआ नफीस साहब के साथ।

साल 2008 में नफीस साहब जयपुर से उत्तर प्रदेश अपने पैतृक गाँव आए हुए थे। जब सुबह सोकर उठे तो अचानक ही इन्हें बाएं कंधे के नीचे दर्द महसूस हुआ। 1 से 2 दिन में ही ये दर्द बढ़ने लगा। इस बारे में नफीस साहब ने गाँव में ही अपने परिवार के लोगों को बताया तो ज्यादातर लोगों ने इनसे कहा की नस वगैरह चली गई होगी कुछ समय में अपने आप सही हो जाएगी। 2 दिन गुजरे, 4 दिन गुजरे धीरे-धीरे एक हफ्ता और फिर पूरा महीना गुजर गया। लेकिन दर्द कम होने का नाम नहीं ले रहा था। नफीस साहब ने गाँव में ही एक डॉक्टर को दिखाया। कुछ दिन दर्द की दवाइयाँ खाईं लेकिन कोई राहत नहीं मिली। धीरे धीरे ये तकलीफ इतनी बढ़ गई की 53 साल के नफीस साहब अब कहीं पर भी आने जाने और कुछ भी काम करने से घबराने लग गए थे क्योंकि दर्द की हद बर्दाश्त से बाहर थी। एक दिन अचानक ही चलते-चलते नफीस साहब गिर पड़े जिसके बाद इनके अंदर डर बैठ गया था और ये छोटा मोटा काम करने से भी डरने लगे थे।

दर्द बढ़ने पर दिल्ली के एम्स के लगाए चक्कर

दर्द बढ़ता रहा और इतना बढ़ गया की इनका उल्टा हाथ उठना बंद हो गया। दर्द इतना बढ़ चुका था की पूरी बॉडी सुन्न होने लगी थी और इन्हें ऐसा महसूस होने लगा था जैसे पीठ में किसी ने सुई गोंप दी हो। पैर उठाने रखने में समस्या होने लगी थी, छोटी-छोटी सीढ़ियाँ तक नहीं चढ़ पाते थे। यहाँ तक की पानी का गिलास उठाने तक में समस्या होती थी खुद से उठकर के पानी भी पीना मुश्किल हो गया था। यानि की नफीस साहब अब दर्द की वजह से बिस्तर पर आ गए थे। कई डॉक्टरों के चक्कर काटने के बाद भी जब नफीस जी को तकलीफ में राहत नहीं मिली तो ये दिल्ली आए और एम्स के डॉक्टरों को दिखाया यहाँ पर इन्हें रात से लेकर सुबह तक लाइन में अपने नंबर के लिए इंतजार करना पड़ता था। महीनों तक दिल्ली के डॉक्टरों द्वारा की हुई दवाइयों को खाया। लेकिन जब तक दवाइयों असर रहता तब तक थोड़ा बहुत आराम मिल जाता, दवाइयों छोड़ने के बाद फिर से पहले वही हालत हो जाती। डॉक्टर ने तो इनसे इतना तक बोल दिया था की अगर आपका ऑपरेशन किया गया तो आपके अपाहिज होने का डर है। इसलिए अच्छा है की आप जिस तरह से अपनी जिंदगी जी रहे हैं वैसे ही जीते रहें। 7 से 8 महीने बिस्तर पर लेते हुए एम्स के डॉक्टरों की दी हुई दवाओं का सेवन किया। इसके बाद भी जब इन्हें कोई आराम नहीं लगा तो अपनी जिदंगी से बहुत मायूस हो गए। इतना ही नहीं लगातार दर्द की दवाइयों के सेवन से होने वाले साइड इफेक्ट की वजह से पेट में जलन होना शुरू हो गई। डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर ने इन्हें बताया की इनके आंतों में घाव हो गए हैं। डॉक्टर के कहने पर पेन किलर खाना बंद कर दी।

कहानी से जुड़े खास महत्वपूर्ण पॉइंट्स:

  1.  नफीस साहब को 16 साल तक कंधे के दर्द ने परेशान किया और ऑपरेशन से डर था।
  2.  एम्स के डॉक्टरों से कोई राहत न मिलने पर नफीस साहब ने यूनानी नुस्खे अपनाए।
  3.  असली गोंद सियाह के सेवन से नफीस साहब को 99% राहत मिली, अब वे सीढ़ियाँ चढ़ सकते हैं।

कैसे मिला इस समस्या में आराम।

लगभग 16 सालों तक इस समस्या से उलझने के बाद इनके एक अजीज ने इन्हें गोंद सियाह के बारे में बताया और कहा की अगर आपको असली गोंद सियाह मिल जाएगी तो आपकी समस्या दूर हो सकती है। गोंद सियाह के लिए पूरे जयपुर के बाजारों में घूमें लेकिन इन्हें असली गोंद सियाह नहीं मिली। सब तरह से परेशान होने के बाद नफीस साहब ने असली गोंद सियाह के बारे में यूट्यूब पर सर्च किया तो शैलजा त्यागी और हकीम सुलेमान खान साहब का एक इंटरव्यू देखा। इस इंटरव्यू में हकीम सुलेमान खान साहब गोंद सियाह के फ़ायदों के बारे में बता रहे थे। इस इंटरव्यू को देखने के बाद इन्होंने हकीम साहब के और वीडियो देखे जहां से इन्हें पता चला की हकीम सुलेमान साहब के यूनानी नुस्खों को अपनाकर हजारों लोग स्वस्थ हो गए हैं। लोगों के इंटरव्यू देखकर इन्हें हकीम साहब पर विश्वास हुआ और 2023 में may के महीने में हकीम साहब की वेबसाईट Atiya Herbs से असली गोंद सियाह ऑर्डर करके सेवन करना शुरू कर दिया। गोंद सियाह का सेवन करने से 8 से 10 दिन में ही इन्हें इसकी शक्ति का अनुभव होने लगा। महज 3 महीने में गोंद सियाह का एक डिब्बा पूरा खाने के बाद इन्हें 60% आराम मिल गया।

जिससे इन्हें काफी खुशी हुई। इन्हें लगने लगा की इस दवा से इन्हें इस असहनीय दर्द में फायदा मिल सकता है। नफीस जी ने गोंद सियाह का सेवन करना जारी रखा। महज 10 महीने तक लगातार गोंद सियाह का सेवन करने से अब आलम यह है की इनको इस दर्द में 99% फायदा मिल चुका है। कभी पानी का गिलास तक ना उठा पाने वाले नफीस साहब स्वस्थ होकर सीढ़ियाँ तक चढ़ जाते हैं। हष्ट, पुष्ट होकर अपने सारे काम खुद से करने लगे हैं। ये बात हम नहीं कह रहे हैं ये खुद नफीस साहब का कहना है। नीचे दी गई विडिओ पर क्लिक करके आप नफीस साहब को सुन सकते हैं। इतना ही नहीं इन्हें शुगर की समस्या भी हो गई थी जिसके लिए हकीम जी के यहाँ से गोंद जामुन और जैतून का सिरका मंगाकर सेवन करना शुरू किया और अब इन्हें शुगर की समस्या में उचित राहत मिल गई है।

हकीम साहब के नुस्खे अपनाने के बाद नफीस साहब की जिंदगी में बदलाव:

  1.  8-10 दिन में गोंद सियाह से नफीस साहब को राहत महसूस होने लगी।
  2.  3 महीने में 60% आराम हुआ, 10 महीने में 99% दर्द कम हुआ।
  3.  अब नफीस साहब खुद से काम करते हैं, शुगर की समस्या में भी राहत मिली।

नफीस साहब हकीम साहब के लिए क्या कहते हैं?

दर्द की समस्या से परेशान, जिंदगी से मायूस और बेचेन हो चुके नफीस साहब का कहना है की मेरे अंदर जितनी भी दुवाएं हैं वो सारी अल्लाह हकीम साहब को दे दें। साथियों जिंदगी में असहनीय दर्द, तकलीफ दुख और बाधाओं को सहने के बाद जब लोग हकीम साहब के यूनानी नुस्खों से स्वस्थ होते हैं तो सबसे ज्यादा खुशी हकीम साहब को होती है।

आप नफीस साहब के जीवन की पूरी कहानी दी गई वीडियो में देख सकते हैं...

गोंद सियाह क्या है ?

 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है। यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्या है। इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। यह एक मध्यप्राण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है। गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है। यह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमें उस पेड़ के औषधीय गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हम से दूर रख सकता है।

गोंद मोरिंगा क्या है?

गोंद मोरिंगा एक प्राकृतिक उत्पाद है जो पाचन, गैस्ट्रिक संबंधी समस्या, लीवर संबंधी समस्याएं, बवासीर, सोरायसिस, सभी प्रकार के त्वचा संक्रमण जैसी विभिन्न बीमारियों में लाभदायक है। यह हकीम जी द्वारा खुद की निगरानी में तैयार की गयी औषधि है। इस औषधि को यदि सही तरीके से इस्तेमाल किया जाये तो यह बहुत जल्दी अपना असर दिखाना शुरू कर देती है। हकीम जी द्वारा बताये गये निर्देशों को अपनाकर असली गोंद मोरिंगा का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

जैतून का सिरका क्या है?

हकीम सुलेमान साहब का जैतून का सिरका विभिन्न रोगों जैसे मधुमेह नियंत्रण, पाचन, गैस्ट्रिक से संबंधित समस्या, लिवर से संबंधित समस्या, गुर्दे से संबंधित समस्या, उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल की समस्या के लिए एक आदर्श हर्बल उपचार है। हकीम साहब के अनुसार जैतून का सिरका शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए काफी असरदार है। शुगर के लिए यह सिरका फायदेमंद है। जैतून का सिरका पूर्ण रूप से आयुर्वेदिक है। इसके इस्तेमाल से किसी भी प्रकार का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। इसकी खुराक को हकीम साहब या हकीम साहब की कंपनी के डॉक्टरों द्वारा बताई गयी मात्रा में ही लेना चाहिए। ज्यादा मात्रा में इसका सेवन इसकी काम करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

Back to blog