कई लोगों के लिए प्रेरणा बनी कैप्टन रघुवंश सिंह की कहानी
अशोक अग्रवाल जी-दिल्ली । आर. बी. वर्मा-लखनऊ- । एच.एम आनंद-दिल्ली । चौधरी जमील जी-दुबई। दयावती जी-दिल्ली । दयाशंकर तिवारी-लखनऊ। मौलाना उस्मान-दुबई
बदलती बिगड़ती लाइफस्टाइल के बीच अपनी सेहत का ध्यान रखना बेहद मुश्किल हो गया है। जिसकी वजह से कम उम्र में ही लोग कई परेशानियों का शिकार हो जाते हैं। लाइफ में कुछ चीजों को बैलेंस करना बेहद जरूरी है ताकि एक अच्छा जीवन बिताया जा सके। लेकिन अक्सर लोग इन बातों को नजरअंदाज कर मानमाने ढंग से अपने शरीर का इस्तेमाल करते हैं। आज हम एक ऐसी कहानी लेकर आए हैं जो ना सिर्फ युवा बल्कि बुजुर्गों को भी प्रेरणा देगी। हम बात कर रहे हैं रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर रघुवंश सिंह जी की। जिन्होंने रिटायर हो जाने के बाद भी काम करना नही छोड़ा। इसी बीच उन्हें घुटनों की परेशानी के चलते काफी तकलीफ उठानी पड़ी मगर 80 साल की उम्र में भी वे आज सेहतमंद जिंदगी गुजार रहे है। क्या थी इनकी परेशानी और कैसे आज भी वे बेहतरीन समय गुजार रहे हैं. जानें पूरी कहानी।
कौन हैं रघुवंश सिंह जी ?
80 साल के रघुवंश सिंह जी रिटायर्ड आर्मी कप्तान हैं। वे पटना के दानापुर की जजीस कॉलोनी में रहते हैं। 26 साल देश की सेवा में गुजारने के बाद के उन्होंने 10 सालों तक स्कूल में बच्चों को पढ़ाने का काम किया हैं। 26 सालों तक उन्होंने सैनिकों को युद्ध की रणनीति के लिए ट्रेनिंग दी है। जिसके चलते वे आज तक एक अनुशासित जीवन जीते आ रहे हैं। आज भी वे सुबह समय से उठकर व़ॉक करते हैं पूजा करते हैं घर की सफाई भी करवाते हैं। रघुवंश जी के परिवार में वो उनकी पत्नी ऊषा सिंह जी और उनकी बेटी है जिनकी शादी हो चुकी है। ऐसे में वे औऱ ऊषा जी मिलकर पूरा घऱ संभालते हैं और एक दूसरे का ध्यान भी रखते हैं। लेकिन बढ़ती उम्र में शरीर के किस हिस्से में तकलीफ शुरू हो जाए नहीं कहा जा सकता। सेहतमंद जीवन जी रहे रघुवंश जी को 6 महीने पहले घुटनों में दर्द शुरू हुआ जो समय के साथ बढ़ता ही चला गया।
घुटनों के दर्द से कैसे बड़ी रघुवंश जी की तकलीफ ?
घुटने में होने वाले दर्द ने मानों उनकी जिंदगी को रोक ही दिया। दरअसल इस दर्द का एहसास उन्हें बस में ट्रेवल करते समय हुआ। जब खड़े होने की वजह से उनका एक पैर जकड़ने लगा उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि अब वे गिर जाएगें लेकिन जैसे तैसे उन्होंने खुद को संभाला। उस घटना के बाद से रघुवंश जी के दर्द का सिलसला बड़ता ही चला जा रहा था। उनका अंग्रजी दवाईयों पर कुछ खास भरोसा नही था इसलिए पहले उन्होंने 2-3 महीने मालिश करके, धीरे धीरे घरेलू नुस्खे अपनाकर खुद को बेहतर करने की कोशिश की लेकिन उसका भी कुछ असर उन्हें महसूस नही हुआ। जो अपने हर काम को बेहद फुर्ती से कर लिया करते थे वही रघुवंश जी चलने में संकोच करने लगे थे।
ना वे सीढ़ी चढ पाते थे ना योगा कर पाते थे यहां तक की बेठने में भी उन्हें काफी तकलीफ होती थी। घुटनों में इतनी जकड़न थी कि उन्हें घुटने मोड़ने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था। वे पलती मारकर या पैर मोड़कर नही बैठ पाते थे। धीरे धीरे उन्हें इस बात का डर महसूस होने लगा था कि कही उन्हें अब ऐसे ही तो जिंदगी नही गुजारनी पड़ेगी। इस उम्र में आकर ये चिंता होना स्वभाविक भी था। वे थोड़ा निराश होने लगे थे और इस डर में थे कि उनकी तकलीफ बढ़ती ना चली जाए।वे सोचने लगे थे कि अगर चल ही नही पाएंगे तो आगे सब कैसे चलेगा इन परेशानियों के बावजूद वे हार मानने वालो में से नहीं थे।
किन किन परेशानियों का करना पड़ा सामना?
- दर्द की वजह से बैठना भी हो था मुश्किल
- दर्द कम होने की छोड़ने लगे थे उम्मीद
- तकलीफ के बाद भी नही मानी हार
हकीम जी की मदद से मिली जीने की नई उम्मीद
रघुवंश जी यूनानी मशहूर हकीम सुलेमान खान साहब का चर्चित शो सेहत और जिंदगी काफी समय से देखते आ रहे थे। वे हमेशा से ही घरेलू व प्राकृतिक इलाज में विश्वास करते थे। वे बताते हैं कि शो तो उन्होंने कई देखे लेकिन किसी शो में लोगों की बात का कोई भरोसा नही हुआ ऐसा लगता था कि सब अपना मतलब निकाल रहे हैं। लेकिन हकीम साहब के शो में उनकी बाते, नर्म स्वभाव और लोगों के अनुभव से उनमें एक भरोसा जगा जिसके चलते उन्हें हकीम पर विश्वास हुआ। वे बताते है कि हकीम जी लोगों को आसान से आसान घरेलू इलाज बताते हैं जो सबकी पहुंच में हैं। कई पैसा लगाकर भी लोग संतुष्ट नही होते लेकिन हकीम जी की मदद से कई लोग अपनी तकलीफ में राहत पा रहे हैं।
यही सब देखते हुए उन्होंने हकीम जी से शो के दौरान दिखाए जा रहे नंबर की मदद से संपर्क किया और अपनी परेशानी बताई। उनकी समस्या सुनने के बाद हकीम जी ने उन्हें गोंद सियाह इस्तेमाल करने की सलाह दी। उन्होंने बिना देरी किए ATIYA HERBS से गोंद सियाह मंगवाया क्योंकि शो देखते देखते वे इतना समझ गए थे कि बाहर से लेने पर नकली सामान मिल सकता है। उन्हें हकीम जी पर भरोसा था इसलिए उन्होंने ATIYA HERBS से गोंद सियाह मंगवाया और हकीम जी के बताए अनुसार उसमें अश्वगंधा जैसी कुछ सामग्री को मिलाकर पाउडर के रूप में उसका इस्तेमाल किया। गोंद सियाह के इस्तेमाल से कुछ ही दिनों में उन्हें दर्द में काफी फर्क महसूस हुआ। जिसके बाद उनका भरोसा और मजबूत हुआ औऱ कुछ महीनों के अंदर 80 साल की उम्र में आज वे इतनी क्षमता रखते हैं कि पेड़ पर भी चढ़ जाते हैं।आज हकीम जी के नुस्खे की मदद से वे दौड़ भी लगा लेते हैं, पूजा पाठ भी सही तरीके से करने लगे हैं। अब कोई काम करने से पहले उन्हें सोचना नहीं पड़ता है जिसका सारा श्रेय वे हकीम जी को देते हैं।
हकीम जी के नुस्खे के इस्तेमाल से रघुवंश जी के जीवन में आए ये बदलाव?
- बैठने में नही होती परेशानी
- पहले जैसे फुर्तीलेपन के साथ करते लेते हैं सभी काम
- पेड़ पर आसानी से चढ़ जात हैं रघुवंश जी
तकलीफ में आराम मिलने के बाद ऐसे कर रहे है लोगों की मदद ?
रघुवंश जी अपने अनुभव से कहते हैं कि गोंद सियाह बेजोड़ नुस्खा है। वे मानते हैं कि जिन्हें इस तरह की दर्द कि समस्या हैं उन्हें गोंद सियाह का इस्तेमाल करके जरूर देखना चाहिए। उन्होंने कई लोगों को इस नुस्खे के बारे में बताकर उनकी मदद भी की है। वे बताते हैं कि जिन लोगों को उन्होंने गोंद सियाह के बारे में बताया हैं उन सभी को दर्द में आराम मिला हैं जिसके लिए वे हकीम जी का धन्यवाद करते हैं।
आप रघुवंश जी के जीवन की पूरी कहानी दी गई वीडियो में देख सकते हैं........
गोंद सियाह क्या है ?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है। यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्या है। इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। यह एक मध्यप्राण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है। गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है। यह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमें उस पेड़ के औषधीय गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हम से दूर रख सकता है।