गोंद जामुन और गोंद सियाह के कॉम्बिनेशन ने जयपुर के रहीश जी को शुगर और जोड़ों के दर्द में दिलाई राहत।
अशोक अग्रवाल जी-दिल्ली । आर. बी. वर्मा-लखनऊ- । एच.एम आनंद-दिल्ली । चौधरी जमील जी-दुबई। दयावती जी-दिल्ली । दयाशंकर तिवारी-लखनऊ। मौलाना उस्मान-दुबई
आजकल हर घर में एक न एक व्यक्ति ऐसा जरूर होता है जो दर्द की गोलियां खाते हुए मिल जाएगा। लाखों-करोड़ों लोग ऐसे भी मिल जाएंगे जो अनेकों सालों से दर्द की गोलियां खाकर अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। अगर एक दिन भी इन्हें दर्द की गोली न मिले तो चैन नहीं मिलता। जबकि दर्द में फायदा भी उतने ही समय के लिए मिलता है जब तक दवाइयों का असर रहता है। जैसे ही दवाओं का असर खत्म दर्द फिर से शुरू। दर्द से परेशान ऐसे लोग कर भी क्या सकते हैं क्योंकि डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर या तो झोला भरके दवाइयाँ खाने को दे देते हैं या फिर ऑपरेशन करवाने की सलाह दे देते हैं। ऑपरेशन का नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं और फिर रोजाना दवाइयों का सेवन करना ही उन्हें उचित लगता है। कभी-कभी इस दर्द की वजह कुछ और ही होती है जैसे- डायबिटीज की वजह से जोड़ों में दर्द होना, हाई ब्लड प्रेशर की वजह से शरीर में सुस्ती रहना या फिर जोड़ों में दर्द होना, थाइरोइड की समस्या में जोड़ों का दर्द होना इत्यादि। किसी और समस्या की वजह से होने वाले इस दर्द में लोग पेन किलर खाते रहते हैं। कभी-कभी इस दर्द की वजह बहुत छोटी-सी होती है।
एक बार अगर ये वजह पकड़ में या जाए तो फिर इस दर्द में राहत मिलना लाज़मी है। आज इस आर्टिकल में हम घुटनों और पीठ के दर्द की समस्या से परेशान जयपुर में विवेकानंद कॉलोनी में रहने वाले रहीश अहमद साहब की कहानी से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं। लगातार खड़े होकर काम करने की वजह से उम्र के एक पड़ाव के बाद इनके घुटनों और कमर में असहनीय दर्द होना शुरू हो गया था। इस असहनीय दर्द ने इन्हें 2 साल से ज्यादा परेशान किया।
रहीश जी और उनकी समस्या के बारे में
जयपुर में कपड़ों का कारोबार करने वाले रहीश जी बड़े ही सज्जन और सरल स्वभाव के व्यक्ति हैं। अपने काम से काम करना और जरूरत पड़ने पर लोगों की मदद करना इनके स्वभाव में है। इनकी उम्र 61 साल है। परिवार में इनकी बीवी, 2 लड़के और 3 लड़कियां हैं। रहीश जी पिछले 40 सालों से लगातार इस कारोबार को संभाल रहे हैं। घर से लगभग 3 किलोमीटर दूर इनकी दुकान है जहां पर रहीश जी कपड़ों की कटिंग का काम करते हैं। रहीश जी रोजाना कम से कम 10 से 12 घंटे खड़े होकर काम करते हैं। रहीश जी पिछले 40 सालों से अपनी कपड़े की दुकान पर कटिंग का काम करते हैं। 40 सालों से लगातार दिन में करीब 12 घंटे खड़े-खड़े काम करते आ रहे हैं, शायद यही वजह है की उम्र के एक पड़ाव के बाद इनके घुटनों और कमर में हल्का दर्द महसूस होने लगा। रहीश जी को भी यही लगा की अब बुढ़ापा शुरू हो गया है। लेकिन इन्हें ये नहीं पता था की कुछ ही दिनों में इनका ये दर्द इनके जीवन पर एक बड़ा प्रभाव डालने वाला है। रहीश जी को खाना खाने के बाद टहलने की आदत थी। एक दिन खाना खाने के बाद रहीश जी बाहर टहल रहे थे। अचानक से उन्हें ऐसा महसूस हुआ जैसे पैरों में बिल्कुल भी जान न हो, पाँव का लोच खत्म हो गया हो। पाँव एकदम से जाम हो गए हों। रहीश जी ने कुछ देर तक वहीं पर बैठकर आराम किया और किसी तरह अपने आप को संभालकर वापिस घर आ गए। इस सिचूऐशन के बाद तो रहीश के माइन्ड में एक अलग ही डर बैठ गया। अचानक हुई इस घटना के बाद रहीश जी को बुढ़ापे का एहसास होने लगा और अपने बच्चों के बारे में सोचने लगे। लेकिन ये तो अभी शुरुआत थी।
कुछ समय के बाद इन्हें उठने-बैठने तक में परेशानी होना शुरू हो गई। बैठते थे या फिर उठते थे तो घुटनों में असहनीय दर्द होता था। धीरे-धीरे ये दर्द बढ़ता ही चला जा रहा था। परिवार वालों ने डॉक्टर को दिखाने के लिए बोला लेकिन रहीश जी को एलोपैथिक दवाइयों पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं था इसलिए डॉक्टर को दिखाना नहीं चाहते थे। इनकी इसी लापरवाही की वजह से कुछ दिनों में ये हालत हो गई की अब उठना-बैठना भी दुश्वार हो चला था। अगर बैठ जाते थे तो फिर खड़े होने का मन नहीं करता था। खड़े होते थे तो बैठ नहीं पाते थे। कुछ ही दिनों में दर्द पैरों से बढ़कर कमर तक पहुँच गया। और फिर यहाँ से शुरू होता है हकीम और वैध को दिखाने का सिलसिला शुरू। कई देशी जानकारों को दिखाते-दिखाते इसी दर्द में रशीद जी की 2 सालें गुजर गईं। कई वैध और हकीमों एक दरवाजे खटखटाने के बाद भी इन्हें कहीं से कोई भी आराम नहीं मिल पा रहा था जिसकी वजह ये थी की कोई भी इनका ये मर्ज समझ नहीं पा रहा था। इस दर्द की वजह से इनके कारोबार पर फर्क पड़ना शुरू हो गया था। परिवार वालों ने डॉक्टर से इलाज कराने के लिए बहुत बोला लेकिन रहीश जी ठहरे देशी आदमी। अभी भी उनकी यही तलाश थी की कोई अच्छा सा देसी नुस्खा मिल जाए ताकि इन अंग्रेजी दवाइयों का साइड इफेक्ट न झेलना पड़े।
रहीश जी यूनानी के मशहूर हकीम साहब से कैसे जुड़े और इन्होंने कौन से नुस्खे अपनाएं?
एक दिन रहीश जी ने अपनि दुकान पर बैठे-बैठे घुटनों के दर्द के बारे में मोबाईल पर सर्च किया। सर्च करने पर इन्हें हकीम सुलेमान खान साहब का एक वीडियो मिला। इस विडिओ में रशीद जी ने हकीम साहब को अच्छे से सुना। लेकिन कई वैध और हकीम की दवाइयों से आराम ने मिलने की वजह से रशीद जी हकीम साहब पर विश्वास नहीं कर पा रहे थे। लेकिन हकीम साहब की बातें इन्हें बहुत अच्छी लगती थी इसलिए रोजाना हकीम साहब को YouTube पर सुनते रहते थे। हकीम जी के कई वीडियो देखने के बाद इनके मन में ख्याल आया की जब इतने लोगों को फायदा हो रहा है तो चलो एक बार लेकर देख लेते हैं। जीतने की दवाई आएगी इतने रुपये तो डॉक्टर फीस के ही ले लेता है और जाँचों में पैसे जाते हैं वो अलग। आखिरकार एक दिन इन्होंने हकीम साहब की संस्था में फोन लगा ही दिया। हकीम साहब के काबिल डॉक्टरों की टीम ने इनकी समस्या को अच्छे से सुना और समझा।
इसके बाद इन्हें जोड़ों के दर्द में दुनिया की सबसे कारगर जड़ी बूटी गोंद सियाह भेजी गई और सुबह शाम एक चुटकी सेवन करने को कहा। रहीश जी ने एक महीने तक लगातार गोंद सियाह का इस्तेमाल करने के बाद फिर से हकीम साहब की संस्था में कॉल किया और बताया की अभी तक कोई फायदा नहीं हुआ है। तो डॉक्टरों इनसे शुगर चेक कराने को कहा। जब इन्होंने शुगर चेक कराई तो इनकी शुगर 350 थी। जिस वजह से कोई भी दवा काम नहीं कर रही थी। इनकी शुगर जानने के बाद हकीम साहब की टीम ने इन्हें गोंद सियाह के साथ गोंद जामुन और जैतून का सिरका का सेवन करने को कहा।
कहानी से जुड़े खास महत्वपूर्ण पॉइंट्स:
- रहीश जी को घुटनों और कमर के दर्द में 2 सालों तक कोई राहत नहीं मिली।
- शुगर के स्तर के कारण दवाइयाँ असर नहीं कर रही थीं।
- गोंद सियाह, गोंद जामुन और जैतून का सिरका से शुगर और दर्द में सुधार हुआ।
दो महीने में शुगर और जोड़ों का दर्द हुआ आधा।
हरीश जी ने पूरे 2 महीने तक डॉक्टरों द्वारा बताए निर्देशों के अनुसार दवाइयों का सेवन किया। जिससे 2 महीने के अंदर ही इनकी शुगर का लेवल 350 से 151 पर आ गया। शुगर का लेवल कम होते ही गोंद सियाह ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया। महज 2 महीने में इन्हें दर्द में 50% से भी ज्यादा राहत मिल गई है। रहीश जी ने फिर से संस्था मे कॉल किया और बताया की हकीम साहब की दवाइयाँ शूट कर रही हैं यानि की दवाइयाँ इनके विश्वास पर खड़ी उतरी। इनकी इस बात को कन्फर्म करने के लिए हम भी निकाल पड़े जयपुर इनका हाल-चाल जानने के लिए जयपुर में रहीश जी की दुकान पर हमारी इनसे मुलाकात हुई। और हमने इन्हें काफी परेशान भी किया। इनसे उट्ठक-बैठक करवाई और दौड़ भी लगवाई। 61 साल की उम्र में भी अब रहीश जी 40 साल के व्यक्ति की तरह भाग रहे थे।
हकीम साहब के नुस्खे अपनाने के बाद रहीश जी की जिंदगी में बदलाव:
- शुगर 350 से 151 तक कम होने पर दर्द में 50% राहत मिली।
- 2 महीने में दवाइयाँ असर करने लगीं, दर्द में सुधार हुआ।
- अब रहीश जी पहले की तरह सक्रिय जीवन जी रहे हैं, दौड़ने और उट्ठक-बैठक करने में कोई समस्या नहीं।
इंडियन टॉइलेट पर नहीं बैठ पाते थे अब नहीं होती कोई समस्या।
रहीश जी हमें बताते हैं की वो बड़ी मुश्किल से इंडियन टॉइलेट पर बैठ पाते थे। अब इंडियन टॉइलेट इस्तेमाल आसानी से कर लेते हैं कहीं कोई तकलीफ नहीं होती है। पहले हाथ पैरों में दर्द रहता था, पूरे वदन में सुस्ती रहती थी। लेकिन अब फिर से अपनी लाइफ को पहले की तरह एन्जॉय कर पा रहे हैं। आप भी इनकी उट्ठक-बैठक और दौड़ लगाने वाली वीडियो आर्टिकल के सबसे लास्ट में दी गई लिंक पर क्लिक करके देख सकते हैं।
तो ये तो थी जयपुर में रहने वाले हरीश जी की कहानी अगर आप भी या आपके आसपास कोई भी इस तरह के दर्द से परेशान हैं तो तुरंत नीचे दिए गए नंबर पर कॉल करके अपनी समस्या हमें बताएं और बिना किसी साइड इफेक्ट के अपनी समस्या का समाधान पाएं। अगर आप पहले से हमारे पैशन्ट हैं और आपको भी हकीम साहब की दवाइयों से आराम मिला है तो आप दिए गए नंबर पर हमसे कॉन्टैक्ट कर सकते हैं। हम आएंगे आपके घर आपका इंटरव्यू लेने।
आप रहीश जी के जीवन की पूरी कहानी दी गई वीडियो में देख सकते हैं…
गोंद सियाह क्या है ?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है। यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्या है। इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। यह एक मध्यप्राण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है। गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है। यह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमें उस पेड़ के औषधीय गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हम से दूर रख सकता है।
गोंद जामुन क्या है?
हकीम सुलेमान खान साहब का गोंद जामुन एक प्राकृतिक उत्पाद है। यह एक हर्बल बूटी है जिसका उपयोग स्वस्थ जीवन और खुशहाली के लिए सदियों से किया जा रहा है। यूनानी की इस दवा को मुख्य तौर पर इस्तेमाल शुगर की समस्या को कंट्रोल करने के लिए किया जाता है। शुगर की समस्या में इस गोंद को काफी असरदार और गुणकारी माना जाता है। इस गोंद को इस्तेमाल करने से कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।
जैतून का सिरका क्या है?
हकीम सुलेमान साहब का जैतून का सिरका विभिन्न रोगों जैसे मधुमेह नियंत्रण, पाचन, गैस्ट्रिक से संबंधित समस्या, लिवर से संबंधित समस्या, गुर्दे से संबंधित समस्या, उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल की समस्या के लिए एक आदर्श हर्बल उपचार है। हकीम साहब के अनुसार जैतून का सिरका शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए काफी असरदार है। शुगर के लिए यह सिरका फायदेमंद है। जैतून का सिरका पूर्ण रूप से आयुर्वेदिक है। इसके इस्तेमाल से किसी भी प्रकार का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। इसकी खुराक को हकीम साहब या हकीम साहब की कंपनी के डॉक्टरों द्वारा बताई गयी मात्रा में ही लेना चाहिए। ज्यादा मात्रा में इसका सेवन इसकी काम करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।