पहले घुटनों के दर्द की वजह से चल नहीं पाते थे अब लगा रहे हैं दौड़
अशोक अग्रवाल जी-दिल्ली । आर. बी. वर्मा-लखनऊ- । एच.एम आनंद-दिल्ली । चौधरी जमील जी-दुबई। दयावती जी-दिल्ली । दयाशंकर तिवारी-लखनऊ। मौलाना उस्मान-दुबई
घुटनों का दर्द आज के बदलते समय में सभी के लिए मुसीबत बन गया है। जिसके कारण कई लोगों को तकलीफों का सामना करना पड़ता है। आपको बता दें घुटनों का दर्द ना सिर्फ लाइफस्टाइल में बदलाव बल्कि कैल्शियम की कमी, मोच लगने की वजह से भी हो सकता है। घुटनों का दर्द बढ़ती उम्र के साथ काफी तकलीफदेह हो जाता है। इस दर्द के कारण व्यक्ति का चलना-फिरना, उठना-बैठना तक मुश्किल हो जाता है और दर्द जब बढ़ती उम्र में हो तो व्यक्ति को काम करने के लिए भी दूसरों का सहारा लेना पड़ता है। ऐसी ही कहानी है सहारनपुर के रहने वाले सुरेंद्र सिंह कुशवाहा की। जो इतने स्वस्थ होने के बावजूद भी घुटनों के दर्द से काफी परेशान थे। तो चलिए बात करते हैं उनकी पूरी आत्मकथा की आखिर उन्हें ये घुटनों का दर्द हुआ कैसे और किस तरह उन्हें घुटनों के असहनीय दर्द में आराम मिला।
जानिए कौन हैं एस.एस(सुरेंद्र सिंह) कुशवाहा?
सहारनपुर के रहने वाले एस.एस(सुरेंद्र सिंह) कुशवाहा जिनकी उम्र 82 साल है। एस.एस कुशवाहा वो व्यक्ति हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। जी हां बीएसएफ में आई. जी के पद से रिटायर्ड कुशवाहा जी की कहानी कई लोगों के लिए प्रेरणा बन सकती है। आपको बता दें वह फरवरी 2004 में बीएसएफ से रिटायर्ड हुए थे। इससे पहले 1963 में वह राजपूताना राइफलस में भी थे इन्होंने लगभग 41 साल देश की सेवा में गुजार दिए। पर रिटायर्ड होने के बाद वो मिले महार्षि विद्या मंदिर से जिन्होंने उन्हें कुशवाहा मॉडर्न पब्लिक स्कूल संभालने की जिम्मेदारी दी। आखिर अब देश की सेवा करने वाले व्यक्ति देश के उज्ज्वल भविष्य से जुड़े स्कूल की जिम्मेदारी उठाने से कैसे मना कर देते फिर क्या उन्होंने बड़े ही विश्वास के साथ इस स्कूल की जिम्मेदारी ली और आज वो बखूबी इसे निभा भी रहे हैं। इसके साथ ही वह अपने परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी काफी अच्छे से संभालते हैं उनका एक छोटा सा परिवार है जिसमें उनकी पत्नी का देहांत हो गया है, दो बेटे, और एक बेटी है जो कि शादी होने के बाद दिल्ली में रहती हैं, उनका बेटा कर्नल रैक से रिटायर्ड है साथ ही इनके भी दो बेटे हैं एक बेटा डॉक्टर और दूसरा बेटा वकील है। इसका अंदाजा तो हम उनके परिवार से ही लगा सकते हैं कि सभी देश की सेवा के लिए अपना योगदान दे रहे हैं। उनके जीवन में सबकुछ सही चल रहा था पर फिर उन्हें घुटनों का असहनीय दर्द परेशान करने लगा।
घुटनों के दर्द से परेशान कुशवाहा जी के लिए ऑपरेशन कराने की आ गई थी नौबत, जानिए कैसे?
घुटनों के दर्द से परेशान एस.एस कुशवाहा जी के लिए इस दर्द के साथ जिंदगी गुजारना आसान नहीं था। एक अनुशासित और स्वस्थ व्यक्ति को जब समस्या हो जाएं तो उसे काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसा ही कुछ हुआ कुशवाहा जी के साथ घुटनों के दर्द के कारण वो चल नहीं पा रहे थे, सीढ़ियां चढ़ने में उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। जिस स्कूल को संभालने की जिम्मेदारी उन्होंने ली थी वो भी वो सही से पूरा करने में सक्षम नहीं थे। यही उनके लिए काफी चिंताजनक था। दरअसल वह कई सालों से घुटनों के दर्द से परेशान थे बस उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं लग पाया क्योंकि उनका ये दर्द धीरे-धीरे बढ़ने लगा। कई डॉक्टरों को दिखाया पर दवा लेने पर थोड़ा आराम मिल जाता लेकिन दर्द फिर वैसा ही हो जाता। नौबत ये आ गई कि उन्हें छड़ी के सहारे चलाने पड़ रहा था।
जब दिनों दिन उनकी हालत बिगड़ने लगी तो कई डॉक्टरों ने भी उन्हें ऑपरेशन कराने की सलाह दी। कैंसर की समस्या से परेशान उनकी पत्नी ने भी पहले उन्हें यहीं सलाह दी थी की वह ऑपरेशन करा लें। पर कुशवाहा साहब इस बात को लेकर बिल्कुल भी राजी नहीं थे। वो कहते हैं ना हर किसी के जीवन में बुरा समय आता है तो अच्छा समय भी आता है शायद इतनी तकलीफों से गुजरने के बाद उनका जीवन भी बेहतर होने वाला था।
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आखिर आई.जी साहब को किन परेशानियों का करना पड़ा सामना?
- घुटनों का दर्द बढ़ने की वजह से वह छड़ी के सहारे चलने को थे मजबूर
- सीढ़िया चढ़ना, चलना, भी उनके लिए हो रहा था मुश्किल
- दर्द बढ़ने की वजह से ऑपरेशन कराने की आ गई थी नौबत
हकीम जी के यूनानी नुस्खों को अपनाकर आ.ई जी साहब को नहीं होती चलने में तकलीफ
दरअसल रोजाना की तरह एक दिन वह टी.वी देख रहे थे तभी उनकी नजर यूनानी के मशहूर हकीम सुलेमान खान साहब के चर्चित शो सेहत और जिंदगी पर पड़ी जिसे देख कुशवाहा साहब काफी प्रभावित हुए। लोगों को मिलते आराम के बाद उन्हें लगने लगा की ये भी एक जन सेवक है और शांत स्वभाव ही इसी बात का परिचय देता है फिर क्या था हकीम जी के निर्देश अनुसार कुशवाहा साहब ने अपनी समस्या बताने के बाद बिना किसी देरी के ATIYA HERBS से यूनानी बूटी गोंद सियाह को मंगवा लिया।आपको बता दें एस.एस कुशवाहा ने गोंद सियाह के अलावा, T.CARE और S .CARE का भी सेवन किया और हकीम जी के कहे अनुसार सेवन करने के बाद उन्हें घुटनों के दर्द में काफी आराम मिलना शुरू हो गया।
पहले जहां उन्हें स्कूल का राउंड लगाने में तकलीफ होती थी पर अब नहीं होती। साथ ही उनके घुटनों की सूजन भी काफी कम हो गयी और जो लोग उन्हें ऑपरेशन कराने की सलाह देते थे आज वो भी उन्हें बेहतर देख कर काफी खुश है खासकर उनका परिवार जो हमेशा उनकी चिंता में लगा रहता था। कुशवाहा जी लगभग चार सालों से हकीम जी के यूनानी नुस्खों को अपना रहे हैं। उन्हें अब अपनी घुटनों की परेशानी में 90 प्रतिशत फायदा हुआ है। पहले जहां वो एक कदम नहीं चल पा रहे थे आज वो 20 बार सीढ़ियां भी चढ़ लेते हैं।
कहानी से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु जरूर जानें
- गोंद सियाह के अलावा T.CARE और S .CARE का भी किया सेवन
- हकीम साहब के नुस्खे अपनाकर गुजार रहे हैं बेहतर जिंदगी
- अब कुशवाहा साहब 20 बार भी चढ़ लेते हैं सीढियां
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कुशवाहा जी स्वस्थ होने के बाद लोगों को देते हैं यूनानी नुस्खे अपनाने की सलाह
कुशवाहा जी हकीम साहब की जड़ी बूटी से खुद तो स्वस्थ हो गए हैं और साथ ही वह हकीम साहब का बहुत आभार व्यक्त करते हुए कहते हैं कि उनकी उम्र काफी लंबी हो और उनकी ये सेवा की भावना बनी रहे। वो कहते हैं कि अगर आप किसी दुखी व्यक्ति का दुख कम कर सकते हैं या गरीब की मदद कर सकते हैं तो जिंदगी में ये काम सबसे अहम है इसके आलावा आपको कुछ करना ज्यादा जरूरी नहीं है। आपको बता दें जब उन्होंने उम्मीद छोड़ दी थी तब उनके जीवन में हकीम साहब आए जिसकी वजह से ही वो स्वस्थ और सेहतमंद जिंदगी गुजार रहे हैं कुशवाहा जी इसका सारा श्रेय यूनानी के मशहूर हकीम सुलेमान खान साहब को देते हैं। आपको बता दें कुशवाहा जी बेहतर होने के बाद अब अपने परिवार, रिश्तेदार, और मित्रों को भी हकीम जी के घरेलू नुस्खे अपनाने की सलाह देते हैं। जिससे उनकी जिंदगी भी बेहतर हो सकें।
आप एस.एस कुशवाहा जी के जीवन की पूरी कहानी दी गई वीडियो में देख सकते हैं....
गोंद सियाह क्या है ?
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है। यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्या है। इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। यह एक मध्यप्राण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है। गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है। यह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमें उस पेड़ के औषधीय गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हम से दूर रख सकता है।