जानिए जोड़ों के दर्द में कारगर नुस्खे के बारे में : घुटनों के दर्द में राहत पाकर उपदेव जी 70 की उम्र में रोजाना लगाते हैं 5 किमी दौड़।

1 Days ago | 5 mins

आजकल की अव्यवस्थित जिंदगी और बढ़ती व्यस्तता के कारण हम खुद को समय नहीं दे पाते हैं, जिसका असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। बढ़ती उम्र के साथ घुटनों के दर्द, जोड़ों के दर्द और हड्डियों में दर्द की समस्याएँ सामान्य हो गई हैं। जब घुटनों में दर्द बढ़ने लगता है और असहनीय हो जाता है, तो इसे नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। लोग दर्द से राहत पाने के लिए बड़े-बड़े डॉक्टरों और अस्पतालों के चक्कर लगाते हैं, लेकिन अक्सर आराम नहीं मिल पाता है और फिर थक हारकर इसी दर्द में जिंदगी गुजारने के बारे में सोचने लगते हैं। उपदेव जी की ये कहानी ऐसे लोगों के लिए प्रेरणा है जो हर जगह से थक हारकर जोड़ों के दर्द में ही अपनी जिदंगी जीने के लिए मजबूर हैं। उपदेव जी भी घुटने के दर्द से परेशान थे लेकिन अब वह घुटने के दर्द में राहत पाकर 70 साल की उम्र में रोजाना 5 किलोमीटर दौड़ते हैं और अपनी फिटनेस के लिए जाने जाते हैं। चलिए आपको बताते हैं घुटने के दर्द और दर्द से राहत मिलने की पूरी कहानी।

घुटने का दर्द और जीवन की कठिनाइयाँ

अलीगढ़ के बेगपुर में बिक्रम कॉलोनी में रहने वाले 70 साल के उपदेव जी आज भी युवाओं के लिए एक मिसाल बनकर जी रहे हैं। 9 साल पहले Directorate of Revenue Intelligence से रिटायर हुए उपदेव जी का जीवन एक दर्दनाक हादसे के बाद काफी बदल गया था। दरअसल 35 साल पहले उपदेव जी का स्कूटर से एक्सीडेंट हो गया था जिससे उनके बाएं घुटने में चोट आई थी। काफी दवाई करवाने से उन्हें उस समय तो राहत मिल गई थी लेकिन उम्र बढ़ने और दौड़ने की वजह से उनके घुटने में एक बार फिर से दर्द शुरू हो गया। शुरुआत में तो घुटने पर गरम पट्टी बांधकर चलाते रहे लेकिन धीरे-धीरे दर्द असहनीय होता चला गया जिस वजह से उन्हें दौड़ना भी बंद करना पड़ा और घर के छोटे-मोटे काम करने में भी कठिनाई होने लगी।

घुटने के असहनीय दर्द ने उनके जीवन को बुढ़ापे की तरफ धकेल दिया था। इस दर्द से राहत पाने के लिए वह कई सालों से अंग्रेजी दवाइयाँ खाते आ रहे थे लेकिन दर्द कम होने का नाम नहीं ले रहा था। इस दर्द की वजह से उपदेव जी को भी लगने लगा था की शायद अब बुढ़ापा आ गया है क्योंकि जब तक दवाइयों का असर रहता तब तक तो दर्द में राहत मिल जाती थी लेकिन दवाइयों का असर जाते ही फिर से दर्द शुरू हो जाता था। दर्द बढ़ने के साथ-साथ उनकी परेशानियाँ भी बढ़ती जा रही थीं। जब अंग्रेजी दवाइयों से कोई राहत नहीं मिली तो उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें क्या न करें?

हकीम सुलेमान खान से मिली दर्द में राहत की उम्मीद

डॉक्टरों के चक्कर लगा-लगाकर हार चुके उपदेव जी को अपनी आगे की जिदंगी में अंधेरा नजर आ रहा था इसी बीच एक दिन उन्होंने टीवी पर हकीम सुलेमान खान साहब का प्रोग्राम ‘सेहत और जिंदगी’ देखा। इस प्रोग्राम में हकीम सुलेमान खान साहब जोड़ों के दर्द में कारगर जड़ी-बूटी गोंद सियाह के बारे में बता रहे थे। इस प्रोग्राम में हकीम साहब से अनेकों ऐसे मरीज जुड़कर बात कर रहे थे जिन्हें पुराने से पुराने जोड़ों के दर्द में राहत मिल चुकी थी। इस प्रोग्राम को देखने के बाद और हकीम साहब की बातें सुनने के बाद उन्हें उम्मीद की एक किरण दिखाई दी।

उपदेव जी ने टीवी से नंबर लेकर संस्था में कॉल किया और घुटने के दर्द की जटिल समस्या के बारे में बताया। संस्था में उपस्थित हकीम साहब के काबिल यूनानी डॉक्टरों ने उपदेव जी की समस्या को अच्छे से सुनने और समझने के बाद जोड़ों के दर्द में कारगर हर्ब गोंद सियाह के सेवन की सलाह दी। उपदेव जी ने यूनानी डॉक्टरों के निर्देशों के अनुसार हकीम साहब की ऑफिसियल वेबसाईट Atiya Herbs से गोंद सियाह मँगा ली और सेवन करना शुरू कर दिया।

उपदेव जी की कहानी से जुड़े महत्वपूर्ण पॉइंट:

  • लंबे समय तक अंग्रेजी दवाओं से राहत नहीं मिली, समय के साथ उपदेव जी का दर्द और बढ़ गया था।
  • दर्द के कारण रोजाना के काम जैसे - दौड़ने, चलने और छोटे-मोटे काम करने में परेशानी हो रही थी।
  • घुटने में दर्द की वजह से उपदेव जी गरम पट्टी को घुटने पर बांधकर रखना पड़ता था जो उनकी जीवनशैली पर भारी पड़ रहा था।

गोंद सियाह का असर

उपदेव जी ने हकीम साहब के डॉक्टरों द्वारा बताए निर्देशों के अनुसार रोजाना सुबह-शाम एक-एक चुटकी गोंद सियाह का सेवन करना शुरू कर दिया, कुछ ही दिनों में उन्हें गोंद सियाह का असर दिखाई देने लगा, घुटने के दर्द में कमी महसूस हुई, जिससे उपदेव जी को गोंद सियाह पर पूरी तरह विश्वास हो गया और गोंद सियाह का सेवन जारी रखा। पूरे 3 महीने तक लगातार गोंद सियाह के सेवन के बाद अब आलम यह है कि घुटने का दर्द उपदेव जी के लिए बस एक पुरानी याद बनकर रह गया है। दर्द की वजह से जो गरम पट्टी वो घुटने पर पहनते थे उसे उतारकर फैंक दिया है।

अब उपदेव जी बिना किसी दर्द के रोजाना 5 किलोमीटर तक दौड़ते हैं और 20 किलोमीटर तक बिना किसी परेशानी के दौड़ सकते हैं। वह 2023 में दिल्ली में 21 किलोमीटर की marathon में भी दौड़ चुके हैं, इतना ही नहीं स्टेट और नैशनल लेवल पर रेस में हिस्से भी ले चुके हैं। गोंद सियाह से उन्हें एक नई ऊर्जा और जोश मिला है उनके शरीर में ऐसी ताजगी और फिटनेस आ गई है कि उन्हें देखकर युवा भी हैरान हो जाते हैं। आज उपदेव जी जवानों के लिए हौसला, हिम्मत, संकल्प और जज्बे की मिसाल हैं क्योंकि वह 70 साल की उम्र में भी रोजाना exercise करते हैं। उनकी exercise और दौड़ देखने के लिए हम खुद उनके घर पर गए, उन्हें दौड़ाया और एक्सर्साइज़ भी करवाई। अगर आप भी इनकी exercise और दौड़ देखना चाहते हैं तो आर्टिकल के लास्ट में दी गई लिंक पर क्लिक करके देख सकते हैं।

हकीम साहब के नुस्खे अपनाने के बाद उपदेव जी की जिंदगी में बदलाव:

  1. 3 महीने तक लगातार गोंद सियाह के सेवन से घुटने के दर्द में राहत मिली, जिससे उपदेव जी की जिंदगी आसान हो गई है।
  2. वह अब बिना दर्द के रोजाना 5 किलोमीटर दौड़ लगाते हैं।
  3. गोंद सियाह ने उन्हें नई ऊर्जा और फिटनेस दी, जिससे वह 70 साल की उम्र में भी नियमित रूप से एक्सरसाइज करते हैं और दौड़ते हैं।

जोड़ों के दर्द से परेशान लोगों के लिए उपदेव जी का संदेश

गोंद सियाह के सेवन से घुटने के दर्द में राहत पाने के बाद उपदेव जी अब कहते हैं "गोंद सियाह से मुझे न सिर्फ दर्द से राहत मिली, बल्कि एक नई ऊर्जा भी मिली है। अगर गोंद सियाह के बारे में पता न चलता तो शायद आज मैं चल भी न पा रहा होता, लेकिन अब मैं 70 की उम्र में भी रोजाना 5 किलोमीटर दौड़ता हूँ। जिसके लिए मैं हकीम सुलेमान खान साहब का ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ और जोड़ों के दर्द से परेशान लोगों से कहना चाहता हूँ कि अगर जोड़ों के दर्द की वजह से डॉक्टरों के चक्कर काट-काटकर परेशान हो गए हैं तो एक बार गोंद सियाह का सेवन जरूर करें। क्योंकि यह जोड़ों के दर्द से राहत पाने का सबसे कारगर तरीका है और इसका किसी तरह का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है।

आप उपदेव जी के जीवन की पूरी कहानी दी गई वीडियो में देख सकते हैं…

गोंद सियाह क्या है ?

 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है। यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्या है। इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। यह एक मध्यप्राण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है। गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है। यह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमें उस पेड़ के औषधीय गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हम से दूर रख सकता है।

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