पार्किंसन बीमारी और जोड़ों के दर्द से जूझ रहे 61 साल के वंशीधर जी को यूनानी उपचार से मिला फायदा।
अशोक अग्रवाल जी-दिल्ली । आर. बी. वर्मा-लखनऊ- । एच.एम आनंद-दिल्ली । चौधरी जमील जी-दुबई। दयावती जी-दिल्ली । दयाशंकर तिवारी-लखनऊ। मौलाना उस्मान-दुबई
एक बीमार शरीर मनुष्य के मन को बीमार बनाता है। मन के बीमार होते ही व्यक्ति धरती पर बोझ बनकर रह जाता है। अगर आप अपने आसपास देखेंगे तो हर दूसरा, तीसरा व्यक्ति आपको जिंदगी से परेशान मिल जाएगा। कोई रिश्तों को लेकर परेशान है, कोई काम को लेकर परेशान है तो वहीं कोई किसी बड़ी बीमारी की वजह से परेशान है। कई बार इंसान ऐसे हालातों से गुजरता है की वह ये सोचने को मजबूर हो जाता है की इस जिंदगी से तो मर जाना ही बेहतर है। कभी-कभी ये समस्या इतनी बड़ी नहीं होती जितना हम समस्या के बारे में सोच-सोचकर उसे बड़ा बना देते हैं। बस जरूरत होती है एक सही और सटीक समाधान की। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको वंशीधर जी की जिंदगी की कहानी से अवगत कराएंगे। एक बीमारी की वजह से इनकी जिंदगी में ऐसा समय आ गया था की इनको अपनी जिंदगी बोझिल लगने लगी थी।
वंशीधर जी और उनकी दर्दनाक समस्या के बारे में
जयपुर के चंदवाजी से 4 किलोमीटर दूर एक छोटे से गाँव श्यामपुरा के रहने वाले वंशीधर जी एकदम सरल और सौम्य व्यवहार के व्यक्ति हैं। पूरे गाँव में इनका पारिवारिक व्यवहार है। 1 साल पहले ही वंशीधर जी टीचर के पद से रिटायर हुए हैं। 61 साल के वंशीधर जी का भरा पूरा परिवार है जिसमें इनकी पत्नी, चार बच्चे और चार बहुएं हैं। 2 बच्चे, 2 बहुएं टीचर हैं। 2 बच्चे secretariat में काम करते हैं जबकि 2 बहुएं टीचर के लिए तैयारी कर रही हैं। दोस्तों कब किसके जीवन में कौन सी समस्या आ जाए कुछ पता नहीं है। वंशीधर जी की जिंदगी भी अच्छी-खासी चल रही थी। घर में कमाने वाले 4 बेटे और घर संभालने के लिए इनकी बीवी और 4 बहूएं थी। एक दिन घर से स्कूल के लिए निकलते समय अचानक ही इन्हें चक्कर आया और गिर गए। इनके पड़ोसियों ने इन्हें गाँव के अस्पताल तक पहुंचाया। डॉक्टर ने कुछ दवाइयाँ देकर कुछ दिन आराम करने को बोला।
अस्पताल पहुंचकर इन्हें पता चला की नस के जाम होने की वजह से चक्कर आया है। कुछ ही समय में शरीर में जगह-जगह दर्द होना शुरू हो गया। इन्हें महसूस हुआ जैसे नसें जाम हो रही हो। जिसका असर इनके दिमाग पर भी पढ़ने लगा। पूरे शरीर में कंपन महसूस होने लगी। समस्या को बढ़ते देख वंशीधर जी ने फिर से डॉक्टर को दिखाया। MRI और सीटी स्कैन करवाई। जांच को चेक करने के बाद डॉक्टर ने इन्हें बताया की पार्किंसन बीमारी हो गई है। जो जिंदगी भर चलने वाली बीमारी है, ये चलती रहेगी और आपको जिंदगी भर दवाइयाँ खानी पड़ेगी। आपकी जानकारी के लिए बता दें की पार्किंसन एक बहुत ही खतरनाक बीमारी होती है। यह बीमारी ज्यादातर 50 से 60 साल की उम्र के बाद शुरू होती है। इसमें दिमाग की सेल्स या फिर न्यूरॉन्स डिजेनरेट हो जाते हैं। इसमें जो dopamine group of chemical होता है वह कम हो जाता है जिसकी वजह से शरीर अकड़ने लगता है, चलने-फिरने और बात करने में दिक्कत होने लगती है। हाथ-पैरों में कंपन होना शुरू हो जाती है। एलोपैथी में इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए जिंदगी भर के लिए दवाइयाँ खाने को दी जाती हैं।
जब रिटायरमेंट के बाद वंशीधर जी की हालत और ज्यादा बिगड़ गई
वंशीधर जी के पास दवाइयाँ खाने के अलावा कोई दूसरा ऑप्शन नहीं था तो इन्होंने दवाइयाँ खाना जारी रखा। जब तक इनकी दवाईयां चलती रही तब तक तो इन्हें थोड़ा बहुत आराम रहा। दवाइयों का सेवन बंद करने पर इनकी कंपन की समस्या और भी ज्यादा बढ़ गई। हाथ-पैर और गर्दन में इतना ज्यादा कंपन होने लगा की इनका उठना-बैठना दुर्लभ हो गया। थोड़ा सा भी चलने पर घुटनों और कमर में तेज दर्द होता था रुक-रुककर चलना पड़ता था। बाइक से स्कूल जाने वाले वंशीधर जी को अब बस से स्कूल जाना पढ़ रहा था। बस में भी खुद से नहीं चढ़ पाते थे किसी न किसी को सहारा देकर इन्हें बस में चढ़ाना पड़ता था। वंशीधर जी जब तक स्कूल जाते रहे तब तक तो इनकी हालत काफी ठीक रही। मार्च 2023 में 60 साल की उम्र में वंशीधर जी का retirement हो गया। जब तक रिटायर्ड नहीं हुए थे तब तक हिम्मत लेकर काम करते थे लेकिन retirement के बाद कुछ ज्यादा ही दिक्कत होने लगी।
कोई काम न होने की वजह से इनकी हालत और भी गंभीर हो गई। हाथ-पैर और गर्दन की कंपकंपी इतनी ज्यादा बढ़ गई की हाथ से कोई भी चीज पकड़ने और उठाने में दिक्कत होने लगी, छोटे-छोटे कदम रखकर चलने में भी तकलीफ होने लगी, गर्दन और हाथ-पैर बहुत ज्यादा हिलने लगे। धीरे-धीरे ये समस्या इतनी क्रिटिकल हो गई की वंशीधर जी विस्तर पकड़ने के लिए मजबूर हो गए। इन्होंने कई डॉक्टरों को दिखाया। जकड़न, दर्द और थकान को रोकने के लिए डॉक्टरों ने इन्जेक्शन लगाए। जब तक असर रहता कुछ राहत मिलती और फिर बाद में पहले की तरह हालत हो जाती थी। 10, 12 साल में 2 से 3 लाख रुपये खर्च करने के बाद भी इनकी समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही थी। अब वंशीधर जी को लगने लगा था की बाकी की जिंदगी दवाइयों के सहारे ही काटनी पड़ेगी।
इस कहानी से जुड़े खास महत्वपूर्ण बिन्दु:
- बड़ी बीमारी और दर्द से जूझते थे: वंशीधर जी पार्किंसन और जोड़ों के दर्द से गंभीर रूप से प्रभावित थे।
- दवाइयों का असर न होने से निराश थे: लंबी अवधि तक एलोपैथी दवाइयों ने स्थायी राहत नहीं दी।
- यूनानी नुस्खों से जीवन में बदलाव: हकीम साहब के नुस्खों ने वंशीधर जी को राहत दी और उनकी जिंदगी में सुधार आया।
वंशीधर जी को हकीम सुलेमान खान साहब के बारे में कैसे पता चला।
वंशीधर जी एक दिन बैठे-बैठे मोबाईल पर वीडियो देख रहे थे। स्क्रॉल करते समय अचानक ही इनके सामने हकीम सुलेमान खान साहब की एक वीडियो आ गई। जिसमें हकीम सुलेमान साहब यूनानी जड़ी बूटियों के फ़ायदों के बारे में बता रहे थे। इन जड़ी बूटियों के सेवन से लाखों लोगों को सालों पुरानी समस्याओं में फायदा मिल चुका था। ये सब देखने और सुनने के बाद वंशीधर जी ने स्क्रीन पर दिख रहे नंबर पर कॉल किया और हकीम साहब के काबिल डॉक्टरों को अपनी पूरी समस्या बताई।
हकीम साहब के नुस्खे अपनाने के बाद वंशीधर जी की जिंदगी कितनी बदल गई:
- चलने-फिरने में सक्षम: वंशीधर जी को अब बिना मदद के चलने-फिरने में कोई परेशानी नहीं होती।
- दर्द में कमी और ताकत में वृद्धि: दर्द में सुधार हुआ और शारीरिक ताकत बढ़ी।
- मनोबल में सुधार: अब वंशीधर जी मानसिक और शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय और खुशहाल हैं।
वंशीधर जी को किन नुस्खों से मिला पार्किंसन और जोड़ों के दर्द की समस्या में फायदा।
इनकी समस्या को अच्छे से सुनने और समझने के बाद गोंद सियाह, जैतून का सिरका, और S. Care Capsule का सेवन करने की सलाह दी। वंशीधर जी ने इन यूनानी नुस्खों को मंगाकर सेवन करना शुरू कर दिया। अभी इन दवाओं का सेवन करते हुए डेढ़ महीना ही हुआ है। इस आर्टिकल में दी गई video को देखकर आप खुद वंशीधर जी को सुन सकते हैं की डेढ़ महीने में इन्हें कितना फायदा हुआ। बेड पर पड़े रहने वाले वंशीधर जी अब आसानी से चल फिर सकते हैं। वंशीधर जी के हाथ इतने ज्यादा काँपते थे की ये खुद से खाना तक नहीं खा पाते थे अब इन्हीं हाथों से वजन भी उठा लेते हैं। शरीर में इतनी ताकत आ गई है की कपड़े भी धुल लेते हैं। पहले छोटे-छोटे कदम रखकर चलते थे फिर भी थक जाते थे अब बड़े-बड़े और लंबे-लंबे कदम रखकर चलना शुरू कर दिया है। रोजाना मॉर्निंग वॉक पर जाते हैं। वंशीधर जी का कहना है की डेढ़ महीने में ही लगभग आधा आराम लग गया है। अभी इनकी दवाइयाँ चालू हैं और इन्हें लगने लगा है की इन यूनानी दवाओं से जल्दी ही स्वस्थ हो जाएंगे।
तो दोस्तों ये तो थी वंशीधर जी की कहानी अगर आपको भी किसी भी तरह की समस्या है तो एक बार नीचे दिए गए नंबर पर कॉल करके अपनी समस्या जरूर बताएं, हो सकता है की वंशीधर जी की तरह आपको भी अपनी समस्या में फायदा मिल जाए। अगर आप हकीम सुलेमान साहब से जुड़े हुए हैं और आपको किसी समस्या में राहत मिली है तो हमें बताएं हम हमारी टीम के साथ आएंगे आपके घर आपका इंटरव्यू लेने।
आप वंशीधर जी के जीवन की पूरी कहानी दी गई वीडियो में देख सकते हैं…
गोंद सियाह क्या है ?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है। यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्या है। इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। यह एक मध्यप्राण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है। गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है। यह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमें उस पेड़ के औषधीय गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हम से दूर रख सकता है।
जैतून का सिरका क्या है?
हकीम सुलेमान साहब का जैतून का सिरका विभिन्न रोगों जैसे मधुमेह नियंत्रण, पाचन, गैस्ट्रिक से संबंधित समस्या, लिवर से संबंधित समस्या, गुर्दे से संबंधित समस्या, उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल की समस्या के लिए एक आदर्श हर्बल उपचार है। हकीम साहब के अनुसार जैतून का सिरका शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए काफी असरदार है। शुगर के लिए यह सिरका फायदेमंद है। जैतून का सिरका पूर्ण रूप से आयुर्वेदिक है। इसके इस्तेमाल से किसी भी प्रकार का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। इसकी खुराक को हकीम साहब या हकीम साहब की कंपनी के डॉक्टरों द्वारा बताई गयी मात्रा में ही लेना चाहिए। ज्यादा मात्रा में इसका सेवन इसकी काम करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
S. Care क्या है?
S. Care दवा अच्छी तरह से परीक्षण और शोधित है, जो गठिया जैसे मांसपेशियों और जोड़ों के रोगों के रोगियों को पूर्ण संतुष्टि देती है। इतना ही नहीं, अल्सर और मुंहासे जैसी अन्य बीमारियों पर भी यह दवा व्यापक प्रभाव डालती है। लेकिन यह मुख्य रूप से मांसपेशियों और हड्डियों से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने में कारगर है। यह मांसपेशियों की अकड़न का उपचार करता है और दर्द से राहत देता है।