पहले घुटनों के दर्द में चलना था मुश्किल अब गुजार रहे हैं बेहतर जिंदगी, जानें पूरी कहानी?

2 months ago | 5 mins

घुटनों का दर्द एक ऐसी समस्या है जिसकी वजह से कई लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है फिर चाहे वो बुजुर्ग हो या युवा हर कोई घुटनों के असहनीय दर्द से काफी परेशान रहता है। ये दर्द है जो उम्र के बढ़ने के साथ ही काफी तकलीफदेह भी हो जाता है। इस दर्द के कारण व्यक्ति का चलना-फिरना, उठना-बैठना तक मुश्किल हो जाता है। इसलिए जरूरी है कि समय रहते ही इस समस्या पर ध्यान दिया जाए नहीं तो ये परेशानी आपके लिए मुसीबत बन सकती है। आपको बता दें आज हर दूसरा व्यक्ति घुटनों के दर्द से परेशान है। ऐसी ही परेशानी थी लखनऊ के दयाशंकर जी को तो आइये जानते हैं दयाशंकर जी की पूरी आत्मकथा के बारे में कि उन्हें घुटनों के दर्द में कैसे आराम मिला और कैसे आज वो स्वस्थ और सेहतमंद जिंदगी गुजार रहे हैं?

जानिए कौन हैं लखनऊ के दयाशंकर जी?

लखनऊ के रहने वाले दयाशंकर तिवारी जी अपने बेहद खास अंदाज में जीते है और जियें भी क्यों ना। आखिर रिटायर सूबेदार जो हैं। वह काफी दयालु स्वभाव के व्यक्ति है लोगों की मदद करना उन्हें काफी पसंद है। अपनी 28 साल की आर्मी में सेवा करने के बाद तिवारी जी बड़े ही आराम से रिटायर हुए। लेकिन काम करने की ललक आज भी उनके मन से नहीं गयी। रिटायरमेंट के बाद ही उन्होंने रेलवे में नौकरी शुरू कर दी। रेलवे में करीब 10 साल नौकरी करने के बाद उन्हें वहां से भी रिटायरमेंट लेना पड़ा। रेलवे से निकलने के बाद अब उनका काम है खेती करना, जानवरों को पालना। अब वे पूरी तरह से एक किसान का जीवन जी रहे हैं। अपने परिवार के साथ सूबेदार जी काफी खुशी के साथ रहते हैं।

अगर उनके परिवार की बात करें तो उनका काफी बड़ा परिवार है। उनके परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटे, एक बेटी, दो भाई और उनकी पत्नियां और उनके बच्चे रहते हैं। सूबेदार साहब अपने परिवार के मुखिया हैं। लेकिन समस्या तब आती है जब मुखिया जी को ही कुछ समस्या हो जाये। जिस प्रकार दयाशंकर तिवारी जी को हो गयी। दरअसल उन्हें घुटनों में दर्द की समस्या हो गयी। घुटनों के दर्द के कारण तो वे मानो अंदर से टूट से गये हों। क्योंकि जैसा जीवन उन्होंने आज तक जिया था वैसा जीवन वो इस दर्द के साथ नहीं जी सकते थे। घुटनों के दर्द से लाचार दयाशंकर जी के जीवन में परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रहीं थी।

दयाशंकर जी के जीवन में घुटनों के दर्द से कैसे बढ़ी परेशानियां?

घुटनों के दर्द से परेशान दयाशंकर जी के लिए उठना-बैठना, चलना फिरना काफी मुश्किल हो गया था उन्होंने कई डॉक्टरों से एलोपैथिक उपचार भी कराए लेकिन दर्द में उन्हें कोई आराम नहीं दिखा। परिवार के सदस्य भी दयाशंकर जी को देख काफी दुखी रहने लगे क्योंकि परिवार का वो सदस्य जो किसी काम को करने से पीछे नहीं हटता। हमेशा जोश और फुर्ती में रहता है अगर वो लाचार हो जाए, दूसरों पर निर्भर हो जाए तो जिंदगी आसान नहीं होती। वो कहते हैं ना बुरा वक्त हर किसी के जीवन में आता है बस जरूरी है उस समय पर सही कदम उठाना जो आपके जीवन के लिए बेहद जरूरी है। दयाशंकर जी भी अपने दर्द को लेकर पूरा दिन चिंता में ही रहते।

जब कहीं से भी उन्हें कोई आराम नहीं दिखा तो एक दिन उनके किसी जानने वाले ने उन्हें मशहूर हकीम साहब के बारे में बताया। जब दयाशंकर जी हर जगह से हार मान गये कई डॉक्टरों से सलाह ली फिर भी कोई आराम नहीं मिला तो उन्होंने मन बना लिया कि एक बार वह हकीम साहब के नुस्खों को जरूर आज़मा कर देखेंगे।

हकीम साहब के यूनानी नुस्खे अपनाकर घुटनों के दर्द में मिला काफी आराम

आपको बता दें दयाशंकर जी रोजाना की तरह टी.वी देख रहे थे कि तभी उनकी नजर हकीम सुलेमान खान साहब के बहुचर्चित शो सेहत और जिंदगी पर पड़ी। सेहत और जिंदगी देखने के बाद उन्हें थोड़ा अजीब लगा कि ना जाने हकीम जी के नुस्खों  से किस प्रकार लोग स्वस्थ हो रहे हैं। उन्होंने सेहत और जिंदगी एक दिन देखा, दो दिन देखा लगातार कई दिन देखने के बाद उन्हें भी हकीम जी के घरेलू नुस्खों पर यकीन हो गया और उन्होंने दिेये हुए नंबर पर हकीम जी को कॉल कर दिया। फिर उन्होंने हकीम जी को अपनी समस्या बताई और अपने लिए घुटनों के दर्द में कारगर नुस्खे बारे में पता किया। हकीम जी ने उन्हें घुटनों के दर्द के लिए गोंद सियाह को इस्तेमाल करने की सलाह दी। इसके बाद दयाशंकर जी ने बिना देरी किये ATIYA HERBS से गोंद सियाह मंगाया और हकीम जी के बताये हुए निर्देश अनुसार उसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। हकीम जी के गोंद सियाह से सूबेदार जी को कम समय में ही आराम लगने लगा। अभी गोंद सियाह को इस्तेमाल करते हुए बस चार महीने ही हुए थे कि उनके घुटनों के दर्द में 80 प्रतिशत तक राहत मिलने लगी।

हकीम साहब अपने यूनानी नुस्खों से करते रहें लोगों की मदद

दयाशंकर तिवारी जी ने जब अपने घुटनों के दर्द में आराम पाया तो फिर उन्हें सीढ़ियां चढ़ने, काम करने और उठने-बैठने में कोई तकलीफ नहीं होती। आपको बता दें मिले आराम के बाद जैतून सिरके का भी उन्होंने इस्तेमाल किया। वे खुद तो स्वस्थ हुए ही और अब लोगों को भी हकीम जी के यूनानी नुस्खे से सेहतमंद कर रहे हैं। दयाशंकर जी अब तक करीब छः लोगों की मदद कर चुके हैं। साथ ही अब वे अब हकीम जी की लंबी उम्र की दुआएं मांगते हैं और चाहते हैं कि हकीम जी इसी प्रकार लोगों की सेवा करते रहे।

आप दयाशंकर तिवारी जी के जीवन की पूरी कहानी दी गई वीडियो में देख सकते.......

गोंद सियाह क्या है ?

 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है। यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्या है। इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। यह एक मध्यप्राण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है। गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है। यह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमें उस पेड़ के औषधीय गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हम से दूर रख सकता है।

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