घुटनों के दर्द से परेशान होकर बिता रहीं थी अपना जीवन अब हैं पहले से काफी स्वस्थ
अशोक अग्रवाल जी-दिल्ली । आर. बी. वर्मा-लखनऊ- । एच.एम आनंद-दिल्ली । चौधरी जमील जी-दुबई। दयावती जी-दिल्ली । दयाशंकर तिवारी-लखनऊ। मौलाना उस्मान-दुबई
आज की बदलती लाइफस्टाइल के साथ लोगों के जीवन में भी काफी बदलाव देखने को मिल रहा है अगर आप एक अच्छी लाइफस्टाइल और खान पान को नहीं अपनाते हैं तो उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है जिससे शरीर और हड्डियाँ दोनों कमजोर होने लगती हैं। जिसके बाद एक छोटी सी समस्या भी बड़ी परेशानी की वजह बन जाती है। उन्हीं समस्याओं में शामिल घुटनों का दर्द भी एक समस्या बन गया है इस दर्द की वजह से चलना-फिरना, उठना-बैठना काफी मुश्किल हो जाता है। ये समस्या ना केवल बुजुर्गों में बल्कि युवाओं में भी देखने को मिलती है। आज हम आपको बताएंगे एक ऐसी महिला की कहानी जो घुटनों के दर्द से काफी परेशान थी जिस महिला की हम बात कर रहे हैं वो हैं लखनऊ की रहने वाली इंदिरा मित्तल। आइये जानते हैं उन्हीं से कि वह हकीम जी के यूनानी नुस्खे अपनाकर कैसे स्वस्थ हुई?
आखिर कौन हैं लखनऊ की इंदिरा मित्तल?
लखनऊ के आर्दश नगर में कल्याणपुर पश्चिम की ओर रहने वाली इंदिरा मित्तल जी काफी दयालु स्वभाव की महिला हैं। परिवार में उनके बेटे, बहू पोते और पोतियां रहते हैं। इंदिरा जी अपने इस परिवार के साथ काफी खुश रहती है। लेकिन इस हँसते- खेलते परिवार को ना जाने किसकी नजर लग गई। दरअसल इंदिरा जी को घुटनों की समस्या हो गई थी वो अपने घुटनों के दर्द से काफी परेशान रहती थी। उनका उठना- बैठना, चलना- फिरना तक काफी मुश्किल हो गया था। वह जहां बैठती वहां बैठे ही रह जाती थी। आपको बता दें उनके आस-पास रहने वाले लोग उन्हें परेशानी में देखकर काफी हैरान थे और हो भी क्यों ना? दलअसल जो महिला स्वस्थ हो पर अचानक से बिस्तर पकड़ ले तो ये हैरानी वाली बात है।
घुटनों के बढ़ते दर्द की वजह से ऑपरेशन कराने का आ गई थी नौबत, जानें पूरी कहानी?
बुढ़ापे का शरीर और ऊपर से घुटनों के दर्द की परेशानी झेल रही इंदिरा जी के लिए जीवन गुजारना काफा मुश्किल था इंदिरा मित्तल जी अपनी परेशानियों के लिए पहले तो एलोपैथिक दवाओं का सहारा लिया। लेकिन उससे भी जब उन्हें कुछ खास फायदा ना मिला तो वह काफी उदास रहने लगी। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आखिर अब वह कौन सा तरीका अपनाएं जिससे उनकी समस्या में आराम मिल जायें। एक दिन वह काफी डर गयी थी क्योंकि डॉक्टरों ने उन्हें ऑपरेशन कराने को बोल दिया था। ऑपरेशन कराना उनके लिए उतना आसान नहीं था एक तरफ ये परेशानी मन ही मन चल रही थी कि ऑपरेशन कराने के बाद क्या उन्हें हमेशा के लिए आराम मिल जायेगा।
अब इंदिरा जी इस कश्मकश में काफी फंस गयी थी। आखिर अब वह अपनी समस्या के लिए क्या करें। अंत में इंदिरा जी ने ऑपरेशन ना कराने का मन बना लिया। लेकिन एक तरफ एलोपैथिक दवाओं से कोई फायदा नहीं तो दूसरी तरफ ऑपरेशन ना कराने का निश्चय किया, इंदिरा जी इन दोनों निर्णय के बीच में फंस चुकी थी। लेकिन वो कहते है ना बुरा वक्त एक ना एक दिन टल ही जाता है। इंदिरा जी का भी बुरा वक्त गुजरने ही वाला था।
जानें इंदिरा जी की कहानी से जुड़े निम्नलिखित बिंदु?
- एलोपैथिक दवाओं से नहीं मिला घुटनों के दर्द में आराम
- दर्द बढ़ने की वजह से आ गई थी ऑपरेशन कराने की नौबत
- घुटनों के दर्द ने बढ़ा दी थी इंदिरा जी की मुश्किलें
लखनऊ की इंदिरा मित्तल जी हकीम साहब से कैसे जुड़ी? आइये जानते हैं?
आपको बता दें कि दरअसल एक दिन उन्हें आयुर्वेद के मशहूर हकीम सुलेमान खान साहब के बारे में पता चला। जो अपने यूनानी नुस्खों के लिए काफी मशहूर है। इंदिरा जी रोजाना की तरह टी.वी देख रही थी तभी उनकी नजर एक खास प्रोग्राम सेहत और जिंदगी पर पड़ी। जहां हकीम जी लोगों को उनकी समस्याओं के लिए यूनानी नुस्खे बता रहे थे लोगों को मिलते फायदे को देखते हुए वह काफी प्रभावित हुए। फिर बिना किसी देरी के उन्होंने अपनी समस्या के लिए ATIYA HERBS से गोंद सियाह ऑर्डर किया और हकीम जी के निर्देशानुसार ही इस यूनानी गोंद का सेवन करना शुरु कर दिया। कुछ महीने सेवन करने के बाद उन्हें अपनी समस्या में काफी आराम महसूस होने लगा। आज इंदिरा जी काफी स्वस्थ और सेहतमंद जिंदगी गुजार रही है।
घुटनों के दर्द में क्या-क्या अपनाया?
- हकीम साहब के नुस्खों से बदली इंदिरा जी की जिंदगी
- गोंद सियाह के सेवन से दर्द में मिली काफी राहत
- हकीम जी के निर्देशानुसार किया गोंद सियाह का सेवन
स्वस्थ होने के बाद इंदिरा जी लोगों को यूनानी नुस्खे अपनाने की देती हैं सलाह
आपको बता दें अब उन्हें कोई भी समस्या होती है तो बिना देरी किये वह हकीम जी के क्लिनिक से अपनी परेशानी के लिए दवा ले लेती। इंदिरा जी का कहना है कि एलोपैथिक दवाओं के सेवन करने से जितना हो सके हमें परहेज करना चाहिए हमें अपनी समस्या के लिए यूनानी नुस्खों का सहारा लेना चाहिए क्योंकि हकीम जी के घरेलू नुस्खे काफी असरदार होते हैं। इंदिरा जी खुद तो स्वस्थ हुई साथ ही लोगों को भी हकीम जी के यूनानी नुस्खे अपनाने की सलाह देती हैं। वह यहीं चाहती हैं कि हकीम साहब इसी तरह लोगों की मदद करते रहें और उनकी उम्र काफी लंबी हो।
आप इंदिरा मित्तल जी के जीवन की पूरी कहानी दी गई वीडियो में देख सकते हैं....
गोंद सियाह क्या है ?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है। यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्या है। इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। यह एक मध्यप्राण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है। गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है। यह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमें उस पेड़ के औषधीय गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हम से दूर रख सकता है।