नारायण सिंह जी के टूटते हौसले को मिली जीने की नई उम्मीद, अब पहले से हैं काफी बेहतर
अशोक अग्रवाल जी-दिल्ली । आर. बी. वर्मा-लखनऊ- । एच.एम आनंद-दिल्ली । चौधरी जमील जी-दुबई। दयावती जी-दिल्ली । दयाशंकर तिवारी-लखनऊ। मौलाना उस्मान-दुबई
आज के बदलते समय में समस्याएं आखिर किसके जीवन में नहीं आती हैं। लेकिन उन समस्याओं का डटकर सामना करना परिस्थितियों के आगे ना झुकना ही जीवन है। अक्सर ऐसा होता है कि जब कोई छोटी समस्या आ जाती है तो उस समस्या को व्यक्ति बड़ा रुप दे देता है। परेशानी चाहे जो भी हो उस समस्या का सही समय पर सही उपचार करना बहुत जरुरी है। ऐसे ही घुटनों का दर्द भी एक आम समस्या बन गया है जो ना सिर्फ बुजुर्ग लोगों में बल्कि युवाओं में भी देखने को मिलता है। इसकी वजह से आपका चलना-फिरना, उठना-बैठना काफी मुश्किल हो जाता है। घुटनों का दर्द एक ऐसा दर्द है जिसमें व्यक्ति को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ये असहनीय दर्द उम्र के बढ़ने के साथ काफी तकलीफदेह भी हो जाता है। आज हम आपको ऐसी ही एक आत्मकथा के बारे में बताने वाले हैं जिन्होंने अपने जीवन में भी काफी समस्याओं का सामना करा लेकिन कभी हिम्मत ना हारने की वजह से आज वे बहुत खुश हैं। हम बात कर रहे हैं भोपाल के रहने वाले नारायण सिंह जी की।
जानिए भोपाल के रहने वाले नारायण सिंह जी के जीवन के बारे में?
नारायण सिंह जी की उम्र 68 साल है। वह सहकारिता विभाग से रिटायर्ड हैं। आपको बता दें नारायण सिंह जी काफी सम्मानित व्यक्ति हैं। लोगों की मदद करना उनका स्वाभाविक रूप है। वे हमेशा से ही दूसरों की मदद करने के लिए आगे रहते हैं। वो अपनी सेहत का शुरु से ख्याल रखते हैं। आपको बता दें वो सेहत को लेकर किसी प्रकार का समझौता नहीं करते हैं। साथ ही परिवार की देखभाल करना और खुशी के साथ रहना वे काफी अच्छी तरह से जानते हैं।
उनके परिवार में उनकी पत्नी और एक बेटा है। अपने छोटे से परिवार के साथ नारायण जी काफी खुशी – खुशी अपना जीवन बिता रहे थे तभी अचानक उन्हें घुटनों में दर्द हो गया। जिस कारण उनका उठना- बैठना भी काफी मुश्किल हो गया था और वह एक ही जगह पर बैठे रह जाते थे जो कि उन्हें बिल्कुल पंसद नहीं था। अपनी इस समस्या में उन्होंने एलोपैथिक दवाओं का सेवन किया लेकिन उन्हें कोई आराम नहीं मिल पाया। उन्होंने आस ही छोड़ दी थी कि वह कभी स्वस्थ हो पाएंगे।
घुटनों के दर्द से परेशान नारायण जी के जीवन में कौन सी मुश्किलें बढ़ने लगी थी?
आपको बता दें धीरे-धीरे नारायण जी की ये समस्या काफी बढ़ गयी और नौबत ये आ गयी की वो हॉस्पिटल में भर्ती हो गये। जहां डॉक्टरों ने कई सारी दवाईयां लिख दी लेकिन नारायण जी ने कोई भी एलोपैथिक दवाओं का सेवन नहीं किया क्योंकि नारायण जी को पता था कि एलोपैथिक दवाईयां कुछ देर तक ही आराम दे सकती हैं और इन एलोपैथिक दवाईयों के साइड इफेक्ट भी बहुत ज्यादा है। एक तो उनका घुटनों का दर्द और ऊपर से हाथ-पैरों के दर्द की परेशानी और बढ़ने लगी। उन्होंने उम्मीद ही छोड़ दी थी कि वह कभी स्वस्थ हो पाएंगे।
पर वो कहते हैं ना एक ना एक दिन परेशानी का हल मिल ही जाता है बस जरूरी है उस परेशानी पर सही समय पर ध्यान देना। नारायण सिंह जी के लिए भी यह जरूरी था बस वो एलोपैथिक दवाओं का सेवन नहीं करना चाहते थे। आपको बता दें उन्हें देर से ही सही पर अपने सही होने की थोड़ी सी उम्मीद दिखने लगी। अब वो कैसे हुए चलिए जानते हैं।
नारायण सिंह जी की कहानी से जुड़े अहम बिंदु
- हॉस्पिटल में भर्ती होने की आयी नौबत
- एलोपैथिक दवाओं से नहीं मिला आराम
- घुटनों के दर्द ने बढ़ा दी थी समस्या
हकीम साहब के यूनानी नुस्खों ने कैसे बदली नारायण सिंह जी की जिंदगी?
रोजाना की तरह फिर एक दिन उन्होंने टीवी पर हकीम जी का सबसे बहुचर्चित शो सेहत और जिंदगी देखा। नारायण जी हकीम जी का प्रोग्राम देखकर काफी खुश हो गए मानो उन्हें उनकी समस्याओं का उपचार मिल गया हो। उन्होंने बिना देरी किये हकीम सुलेमान खान साहब द्वारा सुझाया गया दर्द में कारगर गोंद सियाह ATIYA HERBS से ऑर्डर किया। गोंद सियाह के सेवन से कुछ ही महीनों में नारायण जी को अपनी समस्या में काफी आराम मिलना शुरू हो गया। नारायण जी ने हकीम जी द्वारा बतायी गयी दवाओं में से S- CARE और नमक – जैतून का भी सेवन किया। नारायण जी का कहना है कि हकीम जी के घरेलू नुस्खे अपनाकर वह काफी स्वस्थ हैं और अब वह अपने आप को हमेशा किसी न किसी काम में व्यस्त रखते हैं। एक खास बातचीत में नारायण जी ने बताया कि आम आदमी थोड़ी खांसी – सर्दी होने पर एलोपैथिक दवाओं का सेवन कर काम चला लेते हैं लेकिन उन्हें नहीं पता होता कि एलोपैथिक दवाईयां जितनी जल्दी आराम देती है उतनी ही जल्दी उसके साइड इफेक्ट भी होते है। इसलिए अपनी सेहत का ध्यान रखते हुए ही इसका सेवन करना चाहिए।
नारायण सिंह जी ने बेहतर होने के लिए क्या किया?
- सेहत और जिंदगी प्रोग्राम से जुड़े
- घुटनों में आराम पाने के लिए अपनाया गोंद सियाह
- यूनानी नुस्खे अपनाकर खुद को किया बेहतर
नारायण सिंह जी को नहीं पड़ती सहारे की जरूरत, लोगों को नुस्खे अपनाने की देते हैं सलाह
नारायण जी हकीम जी के यूनानी नुस्खों का सेवन कर काफी स्वस्थ हो गए। खुद को मिले आराम के बाद आज वह सभी को हकीम जी के घरेलू नुस्खे और जड़ी- बूटियों के बारे में बताते हैं। नारायण जी का कहना है कि वह जब तक जिंदा हैं तब तक अपने पैरों पर ही खड़े रहे किसी के सहारे की जरूरत ना पड़े। नारायण जी खुद को स्वस्थ रखने के लिए हमेशा किसी न किसी काम में व्यस्त रखते हैं। आज वह अपने स्वस्थ होने का सारा श्रेय यूनानी के मशहूर हकीम सुलेमान खान साहब को देते हैं।
आप नारायण सिंह जी के जीवन की पूरी कहानी दी गई वीडियो में देख सकते हैं.....
गोंद सियाह क्या है ?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है। यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्या है। इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। यह एक मध्यप्राण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है। गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है। यह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमें उस पेड़ के औषधीय गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हम से दूर रख सकता है।